-पद्मश्री प्रोफसर डॉ. महेश वर्मा ने मशीनों में निर्णय क्षमता का विकास ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
ग्रेटर नोएडा 17 जनवरी। केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एण्ड हायर ऐजुकेशन द्वारा शुक्रवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के वर्तमान और भविष्य पर प्रबुद्ध वक्ताओं ने अपने गहन शोध पर प्रकाश डाला। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री प्रोफसर डॉ. महेश वर्मा ने भी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के योगदान और संभावनाओं को रेखांकित किया। दरअसल आज के दौर में तकरीबन सभी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से अपने वांछित लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती हैं। इसीलिए इस दिशा में रोजगार और निवेश तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा इस विषय को केंद्र में रखते हुए गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से संबद्ध केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एंड हायर ऐजुकेशन द्वारा 17 और 18 जनवरी को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है।
गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से संबद्ध केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एंड हायर ऐजुकेशन के सभागार में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के पहले दिन शुक्रवार को मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफसर डॉ. महेश वर्मा कुलपति गुरू गोविंद सिहं विश्वविद्यालय, मुख्य वक्ता प्रोफेसर भारत भास्कर आइआइएम रायपुर, केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एंड हायर ऐजुकेशन के चेयरमैन दीपक गुप्ता सहित निदेशिका प्रोफसर डॉ. भावना अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित किया। इसके बाद अपने अनुभव साझा करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफसर डॉ. महेश वर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इस दौर में असीम संभावनाओं से भरपूर है। उन्होंने समझाते हुए बताया कि जैसे मानव के भीतर बुद्धि उसे निर्णय लेने की क्षमता देती है वैसे ही एक मशीन या कंप्युटर में कृत्रिम बुद्धि अथवा निर्णय लेने की क्षमता को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कहा जाता है। उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर कंपनी चाहती है कि उनकी मशीनों में भी सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता हो। लिहाजा इस दिशा में शोध और रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर भारत भास्कर ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को पूरी दुनिया में किस प्रकार एक मनुष्य के इतर एक समझदार मशीन विकसित की जा रही है जो विज्ञान में शोध, चिकित्सा क्षेत्र में इलाज, उद्योगों में उत्पादन ही नहीं अंतरिक्ष में अध्ययन के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है। प्रोफसर भास्कर ने बताया कि युवाओं को इस उभरते क्षेत्र से जुड़ना चाहिए क्योंकि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हमारे उत्पादन, शोध, इलाज सहित सभी तरीकों को पूरी तरह बदल देगी। इस कार्यशाला में इंडिया टुडे मीडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ ध्रुबा ज्योति पति, टेक महिंद्रा के सीटीओ-डाटा साइंटिस्ट हावर्ड स्कवायर सहित आइआइएसईआर के एडवाइजर अतुल त्रिपाठी सहित मोहाली में क्लिंगटन फाउंडेशन के प्रोग्राम मैनेजर सिद्धार्थ सिंदवानी ने भी अपने अमूल्य विचार साझा किए। इस मौके पर केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एंड हायर ऐजुकेशन के अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला संयोजक विक्रम कटारिया ने प्रबुद्ध वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में दिल्ली एनसीआर सहित कई राज्यों के शोधार्थियों, शिक्षकों सहित कई विद्यार्थियों ने भाग लिया। केसीसी इंस्टीट्यूट आफ लीगल एण्ड हायर ऐजुकेशन द्वारा आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन करते हुए सह संयोजिका डॉ. सुनीता सिंघल ने सभी को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और प्रतिभागियों की उपस्थिति को सराहा।