न मेरे हसींन दिलबर ये जो तेरा इश्क़ मिज़ाजी है।
अभी तो जिंदगी की होनी एक सुहानी शाम बाकी है।
अब दवा ए असर जिंदगी में होता है कहाँ ऐसा,
कोई प्यार से पूछ लें बस हाल ए दिल वही काफी है।
रुकूँगा छाँव आने दो अभी पसीना और बहाना है,
फ़क़त चलने दो कदम मेरे अभी तो धूप बाक़ी हैं।
हू-ब-हु है वो मेरे किरदार के हिस्से का भोलापन,
यही रह गयी कमी तुझपर अँगुली हाथ की खाली है।
यारों भरके बाहों में अपनी हक़ से छू लिया उसने,
कहा मैं हूँ उसकी कहानी में और वो मेरी निशानी है।
योगेश प्रताप सिंह ‘योगी‘(अस्सिटेंट प्रोफेसर)
शिक्षा विभाग,लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी