रिजर्व बैंक का राहत पैकेज- प्रोफ़ेसर भगवती प्रकाश

प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, कुलपति गौतमबुद्ध विवि

अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के प्रभाव को यथा सम्भव कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने आज शुक्रवार, 17 अप्रेल को 1 लाख करोड़ के बूस्टर पैकेज के साथ अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाकर कृषि, सूक्ष्म लघु, मध्यम व बड़े उद्योगों के लिए राहत का बड़ा कदम उठाया है। इसमें हाउसिंग सेक्टर को भी राहत दी गयी है।  राज्यों के लिए भी Way and Means Advances की सीमा 60% बढ़ा दी है। यह बढ़ी हुयी सीमा 30 सितम्बर तक रहेगी।

1-लोगों को कर्ज आसानी से मिले, इसलिए आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाया है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई में जमा अपनी रकम पर ब्याज मिलता है। यह रेट कम रहने पर बैंक आरबीआई के पास पैसा रखने की बजाय अधिक कर्ज देंगे, जिससे बाजार में तरलता या नकदी बढ़ेगी। बूस्टर पैकेज की यह सहायता नाबार्ड जैसे वित्तीय संस्थानों और बाकी बैंकों को दी जाएगी। वहीं, रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है ताकि लोगों को कर्ज मिलने में आसानी हो। आरबीआई ने 22 दिन पूर्व 27 मार्च को कर्ज सस्ते करने के लिए रेपो रेट 0.75% घटायी थी। लोन की किश्त चुकाने में तीन महीने की छूट दी थी। बैंकों की तरलता बने रहने से  ही आज हमारा बैंकिंग सेक्टर मजबूती से खड़ा है। लोगों  तक कैश पहुंचाने वाले 91% एटीएम काम कर रहे हैं।

2-अब आसानी से कर्ज मिलेगा: रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 4% से घटाकर 3.75% कर दिया है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई में जमा अपनी रकम पर ब्याज मिलता है। जब आरबीआई इस रेट को घटा देता है तो बैंक अपना पैसा आरबीआई के पास रखने की बजाय कर्ज देना पसंद करते हैं। इससे बाजार में नकदी बढ़ती है। इससे कर्ज आसानी से तो मिलेगा, लेकिन रिवर्स रेपो रेट में कमी से सस्ता नहीं होता है। आरबीआई ने रेपो रेट नहीं घटायी है। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है।  इसमें  कमी  होने  से  लोन सस्ते  होते हैं।  इसमें  कोई बदलाव नहीं किया गया है।  आरबीआई  27 मार्च  को ही रेपो रेट 0.75% घटा चुका है। वर्तमान में केवल रिवर्स रेपो रेट घटायी है।

3-एक लाख करोड़ का बूस्टर पैकेज के लाभ किसे जायेंगे :

i.​इस  एक  लाख करोड़ रुपये के बूस्टर पैकेज में  से 50 हजार करोड़ रुपये टारगेटेड लॉन्गर टर्म रिफाइनेसिग ऑपरेशंस यानी TLTRO  के लिए दिए गए हैं। इसमें से 25 हजार करोड़ रूपए की सहायता आज से ही  आरम्भ हो जाएगी।  इसमें  नकदी संकट कम होगा। TLTRO  के अन्तर्गत बैंकों को आरबीआई से  1 से 3  साल के लिए रेपो रेट पर कर्ज मिल जाता है।  इससे बैंकों को पास कर्ज बांटने के लिए संसाधन बढ़ जाते  हैं अर्थात तरलता बढ़ जाती है।

ii.​25 हजार करोड़ रुपए की मदद नाबार्ड यानी नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट को दी जायेगी। यह कृषि और रूरल सेक्टर में कर्ज की उपलब्धता बढ़ायेगा।

iii.​15 हजार करोड़ रुपए की मदद सिडबी अर्थात स्मॉल इंड्रस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक। यह देश के सूक्ष्म, छोटे और मंझले उधोगों को ऋण सुलभ करता है।

iv.​10 हजार करोड़ रुपए की सहायता एनएचबी यानी नेशनल हाउसिंग बैंक को मिलेगी जो हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज देती है। इससे रीयल एस्टेट क्षेत्र को राहत मिलेगी और हाउसिंग प्रोजेक्ट में रोजगार का सृजन होगा।

4-एनपीए के नियमों में छूट: आरबीआई ने 27 मार्च की घोषणा में ही लोन की किश्तें चुकाने में तीन महीने की छूट दे दी थी। आज शुक्रवार की घोषणा के अनुसार अब एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिग असेट्स घोषित करने की प्रक्रिया में 1 मार्च से 31 मई के तीन महीनों को शामिल नहीं किया जाएगा। नियम कहते हैं कि लोन के रिपेमेंट में 90 दिन की देरी होने के बाद बैंक उस खाते को एनपीए घोषित कर देते हैं। शुक्रवार की घोषणा के बाद अब एनपीए के 90 दिनों की गिनती 1 मार्च से शुरू न होकर किश्तें चुकाने के लिए मिली 31 मई तक की छूट के बाद शुरू होगी। इससे लॉकडाउन में कर्ज की किश्त चुकाने योग्य आय नहीं रहने पर उधम एनपीए नहीं घोषित होगा।

5-राज्यों को राहत: राज्यों के लिए भी Ways and Means Advances की सीमा 60% बढ़ा दी गयी है। इससे राज्य भी रिजर्व बैंक से अधिक राशि आहरित (Draw) कर सकेंगे।

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