मंगलमय संस्थान में शिक्षा, प्रबन्धन, प्रोद्योगिकी और विज्ञान में समकालीन चुनौतियों पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस

International Conference on Contemporary Challenges in Education, Management, Technology and Science at Mangalmay Sansthan

ग्रेटर नोएडा। मंगलमय संस्थान में एसईएमएस वैलफेयर एजुकेशन, नई दिल्ली के सहयोग से शिक्षा, प्रबन्धन, प्रोद्योगिकी और विज्ञान में समकालीन चुनौतियों के विषय पर मंगलमय संस्थान में दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ हुआ। जिसमें ऑस्ट्रेलिया, सउदी अरब, नाइजीरिया इत्यादि देश-विदेशों के लगभग 300 प्रतिभागी हिस्सा  ले रहे हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्थान के चेयरमैन अतुल मंगल ने सभी गणमान्यों का स्वागत किया व अपने अभिभाषण में उन्होने शोध को जरूरत व उसके वर्ततान प्रारूप को बदलने पर बल दिया। मुख्य अतिथि प्रो. अयूब खान ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की ओर अपने प्रेरक भाषण के माध्यम से उपस्थित शिक्षकगणों एवं प्रतिभागियों को प्रेरित किया। पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स से आये  विपिन वोहरा ने इस बहु विषयक कान्फ्रेस का उद्देश्य परस्पर संवाद हेतु शिक्षा और शिक्षा शास्त्र के आगे का मार्ग प्रशक्त करने हेतु दिशा निर्देशन किया। सीआईआई, उत्तर भारत के चेयरमैन  सुशील अग्रवाल ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी व उन्होंने अपने सम्बोधन में शिक्षा व व्यवसाय के बढ़ते गैप पर अपने विचार साझा किये। पंजाब टैक्नीकल यूनिवर्सिटी से प्रो. डॉ. कुलविन्दर सिंह से नई राष्ट्र शिक्षा नीति 2022 से आये व्यापक बदलावों से देश में नये रोजगार व कौशल विकास को बढ़ावा मिलने पर अपने विचार रखे। अमेरिका से आये डॉ. येलिज कारचा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण वास्तव में विश्व विकास के अवसर तो प्रदान कर रहा है, परन्तु यह समान रूप से प्रगति नही कर रहा है। कुछ देश दूसरे देशों के मुकाबले तेजी से विकसित हो रहे है तथा अमीर-गरीब की खाई कोविड-19 की महामारी के पश्चात और चौड़ी हो गयी है।

International Conference on Contemporary Challenges in Education, Management, Technology and Science at Mangalmay Sansthan

नाईजीरिया से डॉ इब्राहिम ने व्यवसाय व शिक्षा में नैतिकता की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि आज के स्पर्धा के माहौल में मानव मूल्यों का क्षरण हो रहा है और हमें भावी पीढ़ी के लिये इसे बचाना ही होगा। पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स से मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमारे देश में विश्वविद्यालय, व्यवसायिक संस्थानों से उत्पादिक स्नातक उद्योग की जरूरत के मुतबिक नहीं है और उद्योगों को उन्हें अपने अनुरूप बनाने के लिये अतिरिक्त शिक्षा देने के साथ-साथ अतिरिक्त संसाधन भी जुटाने पड़ते है इसीलिये व्यसायिक पाठ्यक्रमों को समय अनुरूप् व उद्योग अनुरूप बनाने की जरूरत है ताकि इन छात्रों पर उद्योगों को अतिरिक्त संसाधनों को खर्च करने से बचा जा सके और इन नौजवानों की ऊर्जा का सही इस्तेमाल हो सके। इस मौके पर संस्थान की एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर प्रेरणा मंगल ने कहा कि शिक्षा और उद्योग के बीच यदि एक प्रभावी सहयोग बन जाये तो भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ने की गति और तेज हो जायेगी। इसके लिये उन्होंने शिक्षा और उद्योगों के बीच के अंतर को कम करने के लिये एक सर्वव्यापी एवं प्रभावकारी कार्य योजना बनाने की जरूरत बतायी।

इस मौके पर संस्थान के डायरेक्टर प्लानिंग अरूण कुमार राणा, डायरेक्टर इंजीनियरिंग डॉ. यशपाल सिंह, प्रिंसिपल डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. हितेश कुमार, डायरेक्टर मैनेजमेंट एवं प्रो. हरीश भाटिया उपस्थित थे।

संस्थान के वाइस चेयरमैन आयुष मंगल ने अपने उद्बोधन में इस बात की खुशी जतायी कि भारत में शोधपत्र लिखने की संख्या के आधार पर विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है, परन्तु इन शोध पत्रों में अब गुणात्मक बदलाव लाने की जरूरत है ताकि हमारे शोध पत्रों का इम्पैक्ट फैक्टर भी अग्रणी देशों के समान पहुंच सके। उन्होंने शिक्षा, प्रबंधन एवं प्रोद्योगिकी की चुनौतियों एवं उसमें निरन्तर होने वाले परिवर्तनों के लिये शीघ्रता से तैयार रहने की सलाह दी।

 

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