भारत में अनुसंधान एवं उत्पाद विकास के क्षेत्र में हुए कार्यों के प्रभाव और इस ज्ञान से धन संपदा की ओर ध्यान देना होगा-प्रो वी. रामगोपाल राव

Work done in the field of research and product development in India

ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्ध विवि ने स्टार्टअप के लिए शैक्षणिक अनुसंधान एवं विकास: कोई इसे कैसे करता है? विषय पर व्याख्यान का आयोजन विज्ञान और तकनीकी के छात्रों के लिए किया। इस व्याख्यान के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. सिन्हा ने आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक और वर्तमान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पील्लय पीठ के आचार्य प्रो. वी. रामगोपाल राव को आमंत्रित किया। कुलपति प्रो. आर.के. सिन्हा ने प्रो. राव का संक्षिप्त परिचय के दौरान उनकी उपलब्धियों के साथ बताया कि प्रो राव इलेक्ट्रिकल इंजिनीरिंग में नैनो तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा नाम है और इन्होंने 480 शोध पत्र एवं 50 से ज़्यादा पैटेंट इनके नाम पंजीकृत है। देश और विदेश में इन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए गए हैं।

Work done in the field of research and product development in India

प्रो राव ने अपने व्याख्यान के माध्यम से भारत में अनुसंधान और विकास में हो रहे कार्यों को छात्रों के समक्ष पेश ही नहीं किया अपितु बड़े दृढ़ता से कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में भारत का योगदान लगातार बढ़ रहा है जो एक अच्छा संकेत है। कुछ विशिष्ट क्षेत्रों ख़ास कर नैनो तकनीकी के क्षेत्र अनुसंधान पत्र के प्रकाशन में भारत विश्व की प्रथम तीन देशों में शामिल है जो कि हमारे लिए एक गर्व की बात है। उन्होंने ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि भारत में जीडीपी का कम प्रतिशत  खर्च करने के बावजूद भी भारतीय शोधार्थियों ने अपने लगन और मेहनत से उम्मीद से ज़्यादा शोध पत्रों का प्रकाशन किया है जो एक बड़ी उपलब्धि है। आगे कहा प्रकाशन तो ठीक है, लेकिन जब नवाचार या उत्पाद विकास की बात होती है तो दृश्य विपरीत दिखता है। ऐसी परिस्थिति में, नवाचार और उत्पाद विकास के मामले में भारतीय अनुसंधान को प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने के लिए, संस्थागत और राष्ट्रीय स्तर पर कई पहल करने की आवश्यकता है। साथ ही भारत में अनुसंधान एवं उत्पाद विकास के क्षेत्र में हुए कार्यों के प्रभाव और इस ज्ञान से धन संपदा की ओर ध्यान देना होगा।

इस व्याख्यान में, उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण बातें जो कही उनमें यह भी था कि भारतीय शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में उत्पाद नवाचार के बदलते परिदृश्य पर प्रकाश डाला, और यह भी कहा कि देश में बहु-विषयक दृष्टिकोण के माध्यम से उत्पाद नवाचार की संस्कृति को तेज किया जा सकता है। प्रो. राव ने कहा कि हमारे कुछ शोध टॉप-डाउन होते जा रहे हैं जहां ‘समस्या का समाधान’ नहीं बल्कि ‘समस्या की तलाश में समाधान’ पर ध्यान देने की ज़रूरत है और इस संदर्भ में नई शिक्षा नीति 2020 दिशा में एक सही कदम है। इस व्याख्यान का छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों ने भी प्रतिभाग किया और प्रश्नोत्तर काल में छात्रों के प्रश्नों का एक एक कर उत्तर दिया और उन्हें अपने क्षेत्र में अनुसंधान करने को प्रेरित किया। इस कार्यक्रम के अंत में प्रो. एन.पी. मलकनिया, अधिष्ठाता शिक्षिक ने विश्वविद्यालय परिवार की ओर से प्रो. राव का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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