अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत की संस्कृति एवं स्थापत्य कला पर दुनिया भर के विद्वानों ने रखे अपने विचार

-वियतनाम के वक्ताओं ने भारत एवम विएतनाम से दर्शन की ऐतिहासिक समानता को किया स्पष्ट

-जीबीयू में वक्ताओं ने प्राचीन ज्ञान,सभ्यता के पुरावशेष और वर्तमान विश्व के परिदृश्य पर विचार संगोष्ठी

ग्रेटर नोएडा,2 फरवरी। गौतमबुद्ध विवि में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी  के दूसरे दिन  तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एस.वी.एस. विश्वविद्यालय,गुरुग्राम के वाईस चांसलर प्रोफेसर राज नेहरू ने की, प्रो. राज नेहरू ने सनातन तत्व को अन्तः विश्लेषण के माध्यम से खोजने का आह्वाहन किया, उन्होंने ज्ञान के भारतीय सिद्धान्त को श्रेष्ठतम बताकर उसकी उसकी वर्तमान प्रासंगिकता को स्पष्ट किया। संगोष्ठी का विषय प्राचीन ज्ञान,सभ्यता के पुरावशेष और वर्तमान विश्व के परिदृश्य शीर्षक था। मुख्य विषय वक्ता के रुप में भारतीय विद्या भवन की इंडोलॉजिस्ट डॉ. शशिबाला ने बौद्ध शिक्षा एवम स्मारकों की स्थापत्य कला के ऐतिहासिक दर्शन की व्याख्या प्रस्तुत की। इसके साथ साथ उनकी प्रस्तुति में बौद्ध दर्शन एवम हिन्दू दर्शन के समभाव को तथ्यों के साथ स्पष्ट किया गया।

उनके उपरान्त फिज़ी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस. एन.गुप्ता ने भारत के सनातन ज्ञान को विज्ञान के आधार के साथ-साथ भारत की अदभुत अखंडता का प्रतीक बताया। डॉ. एस. एन.गुप्ता ने राष्ट्र की अवधारणा को चिंतन के विभिन्न आयामों में स्पष्ट किया। वियतनाम से पहुंच डॉ.ठीच नगुएँ दाट ने भारत एवम विएतनाम से दर्शन की ऐतिहासिक समानता को स्पष्ट किया। चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय की प्रो.वाईस चांसलर डॉ.वाई विमला ने  ज्ञान के उदभव को विज्ञान के नियम से जोड़कर इस बात को स्पष्ट किया कि प्राचीन ज्ञान अपने आप में प्रामाणिक विज्ञान ही है। कु.मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की संस्कृत आचार्या डॉ. दीप्ति वाजपेयी ने मंच एवम सभागार को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। मंच संचालन डॉ. स्वेता सिंह ने किया, कार्यक्रम संयोजक डॉ. वी.के. शनवाल, विभागाध्यक्ष शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग मौजूद रहे। इसके उपरान्त विश्विद्यालय के विभिन्न ऑडिटोरियम कक्षों में तकनीकी सत्र आयोजित किये गए जहां देश विदेश से आये शोधकर्ताओं एवम शिक्षविदों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। हर शोध प्रस्तुतिकरण के उपरान्त प्रश्नोत्तरी संवाद ने संगोष्ठी को सार्थक साबित किया। हर तकनीकी सत्र में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र को सम्मानित भी किया गया।

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अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने की। अपने अद्यक्षीय संबोधन में उनके द्वारा ज्ञान के वैदिक आयामों की व्याख्या ने सभागार को सम्मोहित कर दिया। मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित “ऑर्गनाइजर” पत्रिका के मुख्य संपादक डॉ. प्रफुल केतकर ने भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में रंग,पात्र और रस की व्याख्या बड़े ही व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत की। उन्होंने ब्रिटेन के राजनैतिक लोकतंत्र,अमेरिका के आर्थिक लोकतंत्र व भारत के आध्यात्मिक लोकतंत्र की क्रमबद्ध व्याख्या की जिसको सभागार का विशेष अनुमोदन प्राप्त हुआ।इसके उपरांत उच्च शिक्षा ,उत्तर प्रदेश शासन के जॉइंट निदेशक डॉ. राजीव पांडेय द्वारा विषय के संदर्भ में विषयगत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया तथा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल व व्यवस्थित आयोजन हेतु आयोजकों को बधाई दी गई। उन्होंने ब्रिटेन के राजनैतिक लोकतंत्र,अमेरिका के आर्थिक लोकतंत्र व भारत के आध्यात्मिक लोकतंत्र की क्रमबद्ध व्याख्या की जिसको सभागार का विशेष अनुमोदन प्राप्त हुआ। इसके उपरांत उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन के जॉइंट निदेशक डॉ. राजीव पांडेय द्वारा विषय के संदर्भ में विषयगत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया तथा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल व व्यवस्थित आयोजन हेतु आयोजकों को बधाई दी गई। उनके उपरान्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, मेरठ व सहारनपुर डॉ. राजीव गुप्ता ने वेदों को विज्ञान का आधार बताते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये। मंच का संचालन डॉ. आयुषी केतकर द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की डीन ऐकडेमिक प्रोफ़ेसर श्वेता आनंद द्वारा दिया गया।

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