ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (फार्मेसी इंस्टीट्यूट) ने “सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा” विषय पर विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ विनोद कापसे, निदेशक, नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के स्वागत भाषण से हुआ। एनआईईटी के फार्मेसी संस्थान के निदेशक डॉ अविजीत मजुमदार ने कैंसर और दवा प्रतिरोध के वैश्विक खतरे से निपटने के लिए नए अणुओं के विकास के लिए दवाओं के मिश्रण से लेकर फार्मासिस्ट की विभिन्न भूमिकाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा आयुष्मान भारत मिशन कि दवा सुरक्षा और उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए फार्मासिस्टों को आने वाले युग में फार्माकोविजिलेंस और रोगी परामर्श में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने बताया 1957 में थैलिडोमाइड आपदा ने विकृत अंगों के साथ पैदा हुए सात हज़ार शिशुओं को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में फार्मासिस्ट की भूमिका को फिर से परिभाषित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को विवश किया। फार्मासिस्ट को न केवल दवा देने के साथ साथ चिकित्सक के पर्चे की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए। उन्हें किसी भी संभावित संयोजन के मामले को चिकित्सक के ध्यान में लाना चाहिए जो ड्रग -ड्रग इंटरैक्शन या फूड ड्रग इंटरैक्शन की ओर जा सकता है। डॉ प्रवीण पचौरी, निदेशक (परियोजना एवं योजना) एनआईईटी ने उदाहरणों के साथ स्पष्ट किया कि फार्मासिस्ट को व्यक्तिगत चिकित्सा के विकास के सम्बन्ध में किस तरह की चुनौतियो से सामना करना पड़ता है। मुख्य अतिथि इंदर सिंह चौहान, कार्यकारी सदस्य फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, ने ड्रग-ड्रग और ड्रग-फूड इंटरैक्शन का पता लगाने के लिए फार्मासिस्ट की भूमिका में बढ़ते महत्व को समझाया और इस प्रकार रोगियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने सभी छात्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए शपथ लेने को कहा कि कोई भी मरीज असुरक्षित और अप्रभावी दवा का शिकार न हो। सभी नागरिकों को दवाओं के उचित भंडारण और हैंडलिंग के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। प्रतिकूल दवा और हाइपरसेंसिटिविटी प्रतिक्रियाओं की विभिन्न घटनाओं को दूर करने के लिए चिकित्सीय दवा प्रबंधन समय की आवश्यकता है। उन्होंने देश के विभिन्न फार्मेसी संस्थान से योग्य पेशेवरों का उत्पादन करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस संबंध में एक अग्रणी भूमिका निभाई है क्योंकि उत्तर प्रदेश में फार्मेसी कॉलेज की भरमार है। ऐसे में जिन संस्थाओ में कक्षाएं नहीं चलती है एवं बिना सही तरीके से प्रशिक्षण लिए हुए फार्मासिस्टों को पास करने की प्रवत्ति को रोकना होगा एवं इसे रोकने हेतु फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा डिप्लोमा छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने पहले से ही अपने सभी अनुमोदित पाठ्यक्रमों के लिए मानक पाठ्यक्रम लागू कर दिया है ताकि भारत के सभी संस्थानों द्वारा फार्मास्यूटिकल शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। डॉ रूपा मजुमदार (डीन, फार्मेसी इंस्टेट) ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। छात्रों ने विभिन्न बिंदुओं जैसे पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन, पोस्टर प्रेजेंटेशन, एक्सटेम्पोर, लेबल मेकिंग प्रतियोगिता और कॉस्मेटिक तैयारी प्रतियोगिता में भाग लिया। समारोह विजेताओं, प्रतिभागियों और समन्वयकों को पुरस्कार वितरण के साथ एक वैध कार्यक्रम के साथ समाप्त हुआ।