केन और बांस के बने बैग प्लास्टिक के बन रहे हैं विकल्प

-पूर्वोत्तर राज्यों के स्टॉलों पर इकोफ्रेंडली उत्पाद विदेशियों को भाया

ग्रेटर नोएडा। इंडिया एक्सपो सेंटर एण्ड मॉर्ट में लगे हस्तशिल्प मेले में बृहस्पतिवार को पूर्वोत्तर राज्यों के स्टॉल पर क्लॉक, सूटकेस, पेन, लैंप, फर्नीचर समेत विभिन्न तरह के उत्पाद विदेशियों को भा रहे हैं। जहां पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक से छुटकारा पाने की जहां देशभर में मुहिम चल रही है वहीं पूर्वोत्तर राज्यों के स्टॉल पर खूबसूरत और स्टाइलिस्ट केन और बांस की छाल से बने बैग से प्लास्टिक को बाय-बाय कहकर ईको फ्रेंडली समाधान कर रहे हैं। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हेंडीक्राफ्ट की ओर से आयोजित हस्तशिल्प मेले में पूर्वोत्तर राज्यों के दर्जनों स्टॉल मौजूद हैं।

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यहां मिजोरम से आई प्रदर्शक चॉनी और कनक कांतिधर व रितुपर्णाधर ने बताया कि प्लास्टिक से छुटकारे के लिए जहां देश ही नहीं पूरा विश्व प्रयास कर रहा है। इसके लिए केन और बांस की छाल से बने बैग प्लास्टिक बैग का विकल्प भी हैं और समाधान भी। यह न केवल खूबसूरत हैं बल्कि मजबूत भी होते हैं। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प से तैयार केन, बांस की छाल से बने बैग तीन सौ रुपये से लेकर सात सौ रुपये की कीमत में अलग-अलग वैराइटी के हैं। इसके केन, बांस के बने फर्नीचर भी दो हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं। इसके अलावा नाइट लैंप, दीवार घडिय़ां भी पांच सौ से दो हजार रुपये तक में उपलब्ध हैं। पेन और की चेन पचास रुपये से दो सौ रुपये तक में हैं। जबकि केन, बांस के बने सूटकेस भी एक हजार से पांच हजार रुपये में सभी को पसंद आ रहे हैं। हस्तशिल्प उत्पादों के डिजाइनर नवीन व चानी ने बताया कि टेबल मैट, वॉटर क्रिक क्रॉप (पूर्वोत्तर भाषा में कौल) की सबसे अधिक मांग रेस्त्रां और होटल्स में होती हैं। उन्होंने बताया कि डिमांड के आधार पर सभी उत्पादों की कीमतों को रखा गया है। उन्होंने बताया कि यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, खाड़ी देशों में इसकी सबसे अधिक मांग है। इसके अलावा अन्य देशों से भी इनकी मांग आ रही है।

 

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