भारत और विदेश से निर्यातकों, प्रसंस्करणकर्ताओं, रिटेल चेन उद्योग, प्रमाणन संस्थाओं एवं उत्पादकों समेत 6000 से अधिक प्रतिनिधि लेंगे बायोफैच 2019 में हिस्सा
भारत ने 2018-19 में किया 5151 करोड़ रुपये (75.7 करोड़ डॉलर से अधिक) के जैविक उत्पादों का निर्यात, 2017-18 में था 3453 करोड़ रुपये (51.5 करोड़ डॉलर से अधिक) के उत्पादों का निर्यात
ग्रेटर नोएडा/नई दिल्ली।जैविक खाद्य पर भारत का तीन दिन का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला ‘बायोफैच इंडिया 2019’ आज ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में शुरू हुआ। बायोफैच इंडिया भारत के जैविक कृषि और जैविक एवं जैविक खाद्य क्षेत्र का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसमें देश भर का समूचा जैविक कृषि एवं खा़ समुदाय हिस्सा लेता है। इसे नर्नबर्गमेसे इंडिया और भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन सांविधिक संस्था कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। एपीडा के चेयरमैन श्री पवन के बड़ठाकुर ने मेले का उद्घाटन करते हुये कहा , “व्यापार मेला-प्रदर्शनी बायोफैच 2019 में भारत तथा विदेश के निर्यातकों, प्रसंस्करणकर्ताओं, रिटेल चेन उद्योग, प्रमाणन संस्थाओं एवं उत्पादकों समेत 6000 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। वे चाय, मसाले, शहद, बासमती चावल, कॉफी, अनाज, मेवे, सब्जी, प्रसंस्कृत खाद्य एवं औषधीय पौधों समेत विभिन्न भारतीय जैविक उत्पादों पर चर्चा करेंगे और उनका प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे।” श्री बड़ठाकुर ने कहा, “जैविक थीम पर एपीडा द्वारा लगाई जाने वाली पैविलियन बायोफैच 2019 की खासियत होगी, जिसमें सामान सीधे प्रदर्शित किया जाएगा और भारतीय जैविक खाद्य उत्पादकों को बी2बी तथा बी2एस बैठकों के जरिये अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ सीधे कारोबार हासिल करने के मौके मिलेंगे। उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार से सीधे जुड़ने का मौका मुहैया कराने के लिए एपीडा प्रमुख आयातक देशों से 75 से अधिक खरीदारों को आमंत्रित एवं प्रायोजित कर रहा है।” उन्होंने बताया, “तीन दिन के इस कार्यक्रम में जैविक उत्पादकों, निर्यातकों, रिटेलरों, व्यापारियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, आईसीएस प्रबंधन निकायों, प्रमाणन संस्थाओं तथा प्रमाणित जैविक कृषक समूहों समेत समूचा जैविक कृषि समुदाय उपस्थित रहेगा और एपीडा के अंतर्गत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) में उगाए जा रहे जैविक उत्पादों की विभिन्न किस्में प्रदर्शित करेगा।” चेयरमैन ने कहा, “दुनिया भर में जैविक कृषि उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि जैविक उत्पाद रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग किए बगैर उगाए जाते हैं। 31 मार्च 2019 तक 35.6 लाख हेक्टेयर भूमि जैविक प्रमाणन प्रक्रिया (राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत पंजीकृत) के तहत आ रही थी। इसमें 19.4 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य थी और 14.9 लाख हेक्टेयर वनोपज संग्रह के लिए थी। जैविक प्रमाणन के अंतर्गत सबसे अधिक भूमि मध्य प्रदेश में है। उसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश आते हैं। 2016 में सिक्किम इकलौता ऐसा राज्य बन गया था, जिसकी समूची कृषि योग्य भूमि (76000 हेक्टेयर से अधिक) जैविक प्रमाणन कार्यक्रम में शामिल थी।”उन्होंने कहा, “भारत ने 2018-19 में 26.7 लाख टन प्रमाणित जैविक खाद्य का उत्पादन किया, जिसमें तिलहन, गन्ना, मोटे अनाज, कपास, दलहन, औषधीय पौधे, चाय, फल, मसाले, मेवे, सब्जियां, कॉफी जैसे सभी किस्मों के खाद्य उत्पाद शामिल थे। उत्पादन केवल खाद्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि कपास के जैविक रेशे और जैविक फंक्शनल फूड उत्पाद भी उगाए जाते हैं।”श्री बड़ठाकुर ने बताया, “मध्य प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जिसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आते हैं। जिंसों की बात करें तो सबसे ज्यादा उत्पादन तिलहन का होता है, जिसके बाद चीनी उत्पादन में काम आने वाली फसलें, मोटे अनाज, रेशे वाली फसलें, दलहन, औषधीय, जड़ी-बूटी तथा सुगंधित पौधे एवं मसाले आते हैं। 2018-19 में कुल 6.14 लाख टन निर्यात हुआ था। जैविक खाद्य का लगभग 5151 करोड़ रुपये (75.749 करोड़ डॉलर) का निर्यात हुआ था। जैविक उत्पाद अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड और जापान को निर्यात किए जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “भारत ने 2018-19 में 5151 करोड़ रुपये (75.7 करोड़ डॉलर से अधिक) के जैविक उत्पाद निर्यात किए थे, जबकि 2017-18 में 3453 करोड़ रुपये (51.5 करोड़ डॉलर से अधिक) के उत्पादों का निर्यात हुआ था। इस तरह निर्यात में लगभग 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। जैविक उत्पादों में अलसी के बीज (फ्लैक्स सीड), तिल एवं सोयाबीन; अरहर, चना जैसी दालों और चावल एवं चाय तथा औषधीय पौधों की अधिक मांग है। अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के देशों ने भारत से सबसे ज्यादा खरीदारी की। कुछ वर्षों से कनाडा, ताइवान एवं दक्षिण कोरिया से भी मांग बढ़ रही है। जर्मनी भारतीय जैविक उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है। अब कई अन्य देश भी दिलचस्पी ले रहे हैं।”
उद्योग का अनुमान है कि भारत में लगभग 8,500 करोड़ रुपये के जैविक कृषि उत्पादों का बाजार है। इसमें से 5,150 करोड़ रुपये यानी लगभग 60 फीसदी बाजार निर्यात का 2,500 करोड़ रुपये का बाजार घरेलू होने का अनुमान है। तकरीबन 97 अरब डॉलर के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की तुलना में भारत का बाजार बहुत छोटा लगता है, लेकिन बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) ने देश में जैविक आंदोलन की नींव डाली है और पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारतीय जैविक उद्योग की साख स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके साथ ही मैं यहां उपस्थित सम्मानित प्रतिभागियों को बताना चाहता हूं कि NPOP अब समूची जैविक कृषि उत्पादन व्यवस्था पर लागू हो गया है और फसल, मवेशी, मत्स्यपालन, प्रसंस्करण तथा मशरूम एवं समुद्री पौधों जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में होने वाली लगभग सभी संभावित गतिविधियों के लिए प्रमाणन की सेवा प्रदान कर रहा है।
व्यापार में बराबरी के लिए एपीडा ने हाल ही में कई प्रयास किए हैं, जिनमें कनाडा, जापान, कोरिया तथा ताइवान पर जोर दिया गया है।
इस मौके पर एपीडा के महाप्रबंधक डॉ. तरुण बजाज और नर्नबर्गमेसे इंडिया की बोर्ड अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुश्री सोनिया पाराशर मौजूद थीं।