ग्रेटर नोएडा। इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मॉर्ट में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर चल रहे कॉप-14 ग्लोबल सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1.3 करोड़ हेक्टेयर भूमि के बजाए अब 2.1 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को दोबारा संरक्षित करेंगे। उन्होंने कहा भारत पर्यावरण संरक्षण के लिए युगों से वचनबद्ध है। हमें तो हमारे पुरखों ने यही पर्यावरण और धरती के संरक्षण की शिक्षा दी है। प्रधानमंत्री ने कहा भारतीय संस्कृति के मुताबिक धरती पवित्र है और हम इसे मां मानते हैं। जब हम रोजाना सुबह सोकर उठते हैं तो उस पर पांव रखने से पहले उसकी अर्चना करते हैं। पर्यावरण दोनों चीजों को प्रभावित करता हैए पृथ्वी को और बायोडायवर्सिटी को। पर्यावरण परिवर्तन धरती को हानि पहुंचाता है। समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। असंतुलित वर्षा, तुफान और गर्मी बढ़ रही है। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में भूमि को माता माना गया है। भारत के लोग सुबह सोकर उठने के बाद धरती को नमन करके दिन की शुरुआत करते हैं। भारत के लोग प्रात:काल धरती पर पैर रखने से पहले ‘समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यम्, पाद स्पर्श क्षमस्वमे’ की प्रार्थना करते हैं। पर्यावरण और जलवायु, जैव विविधता एवं धरती दोनों को ही प्रभावित करते हैं। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के गंभीर दुष्प्रभावों का सामना कर रही है। ये दुष्परिणाम भूमि के क्षरण के रूप में दिखाई दे रहा है। यही नहीं इससे जीवों की प्रजातियों पर भी संकट मंडराने लगा है। हम इन दुष्परिणामों को धरती का तापमान बढ़ने, समुद्र का जलस्तर बढ़ने और बाढ़, तूफान, भूस्खलन जैसी घटनाओं के तौर पर देख रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया के दो तिहाई देश मरूस्थलीकरण जैसी गंभीर समस्या का समाना कर रहे हैं। इस दौरान सेंट विसेंट एंड ग्रेनाडाइस के प्रधानमंत्री डॉ. राल्फ गोंजवाल्वेज, कॉप-14 अध्यक्ष और पर्यावरण, वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, यूएन उप सचिव इब्राहिम और यूएन सीसीडी सचिव अमाना ने सभी देशों से आगे बढक़र बंजर भूमि को सुधारने और पलायन रोकने का किया आह्वान। मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण जैसे मुद्दों को लेकर सहयोग करने में हमेशा आगे रहेगा। इसके बाद मोदी ने बताया सरकार पहले ही आनेवाले सालों में भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद की अपनी आदत में डालना होगा। उन्होंने कहा, वक्त आ गया है कि पूरी दुनिया सिंगल यूज प्लास्टिक को गुड बाय कर दे। इसे अपने आदत में डालना होगा कोई एक व्यक्ति काम पूरा नहीं कर सकता।
मोदी ने बताया कि भारत में विकास कार्यों के लिए जितनी जमीन से पेड़-पौधे काटने पड़ते हैं, उतने ही क्षेत्र में दूसरी जगह पर पेड़ लगाने भी होते हैं। साथ ही, काटे गए पेड़ की कीमत के बराबर फंड जमा करना पड़ता है। पिछले एक सप्ताह में करीब 6 अरब डॉलर (करीब 40 से 50 हजार करोड़ रुपये) का फंड आया है। उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने कहा कि मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने अपना पेड़ों का इलाका (वनाच्छादित क्षेत्र) बढ़ाया है। 2015 से 2017 के बीच यह पॉइंट आठ मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं आज यहां घोषणा करता हूं कि भारत 1.3 से 2.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि का 2030 तक संरक्षित करेगा। रिमोट सेंसिंग और स्पेश टेक्नोलॉजी का उपयोग भूमि के क्षरण को रोकने के लिए करेगा। भारत सस्ता और बहुपयोगी अंतरिक्ष कार्यक्रम संचालित करता है। देहरादून में सेंटर फोर एक्सेलेंस की स्थापना की जाएगी। यह वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की देखरेख में काम करेगा, यह पूरी दुनिया के लिए काम करेगा।
पीएम ने कहा कि दिल्ली डिक्लेरेशन के सुझावों को 2030 तक हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। भूमि क्षरण के प्रति सभी को न्यूट्रल होना पड़ेगा। भारत में युगों पुराने श्लोक हैं जो पर्यावरण संरक्षण और शांति को समर्पित हैं। उन्होंने ‘ऊं दयो ही शांति, अंतरिक्ष शांति, पृथ्वी शांति, ब्रह्म शांति का भावार्थ समझाया। उन्होंने कहा कि धरती, अंतरिक्ष, जल, वायु, ईश्वर, प्रकृति सभी समृद्ध हों और हर स्थान पर शांति हो। मेरी समृद्धि हो और हम सबकी शांति हो। हमारे पुरखों ने कहा कि सबकी समृद्धि में हमारी समृद्धि है। इसमें वायु, जल, पौधे और आकाश, सब समृद्ध हों। क्योंकि इनकी समृद्धि में हमारी समृद्धि है।