कोविड बाद भारतीय युवा ही विश्व के लिए आशा की किरण हैं- प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

कोविड बाद भारतीय युवा ही विश्व के लिए आशा की किरण हैं- प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

ग्रेटर नोएडा,18 जून। गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में नवागन्तुक छात्रों को ध्यान में रखते जुटे नए आगंतुक छात्रों के आगमन हेतु ऑनलाइन स्टूडेंट इंडक्शन पखवाड़ा की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा के उदबोधन से हुई। इस पखवाड़ा के आयोजन का मकशद है विश्ववविद्यालय के पुराने एवं नए छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्हें कोविड महामारी के बाद युवाओं के सामने आने वाली संभावनाएं एवं चुनौतियों से अवगत कराना और साथ में विश्वविद्यालय उन्हें इन सम्भावनाओं एवं चुनौतियों का सामना करने में किस प्रकार सहायक साबित हो सकता है। इस इंडक्शन पखवाड़ा देशभर से अपने अपने क्षेत्र के नामचीन विद्वानों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है जो की एक सराहनीय कार्य है और इससे छात्रों को कोविड के बाद आने वाली चुनौतियों एवं सम्भावनाओं को समझने और उससे उत्पन्न चुनौतियों का सामने करने में सहायक सिद्ध होगी। इस कार्य कार्यक्रम के दौरान आने वाले दिनों में जिन विद्वानों का विचार सुनने का मौक़ा मिलेगा उनमें से कुछ नाम हैं। प्रो. एच.पी. बंसल, प्रो वी. के. पाठक, रविंद्र बांगर, प्रो. संजीव शर्मा, डॉ. कुमार विश्वास, प्रो वी.के. कूथियल, प्रो. बंदना पांडेय, प्रो. महिमा बिड़ला, यशदेव सिंह, प्रो. नीलिमा गुप्ता, इत्यादि। इस पखवाड़ा की शुरुआत प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा के उद्वोधन से हुई। प्रो. शर्मा के पूरे उद्बोधन में छात्रों के सामने कोविड के बाद के समय में पेश होने वाली चुनौतियों एवं सम्भावनाओं ध्यान में रखते हुए अपनी बात छात्रों के बीच रखी। यहाँ उन्होंने ने इस बात पर बल दिया कि आज के भारतीय युवा विश्व के लिए एक आशा की किरण हैं। विश्व की कूल युवा शक्ति का 20 प्रतिशत युवा भारतीय है और साथ ही विश्व की सबसे क़ायदा कृषि योग्य लगभग 16 करोड हेक्टेयर भूमि भारत की है। ऐसी परिस्थिति में पुरे विश्व का ध्यान भारत और भारत के युवाओं पर है।

प्रो.शर्मा ने बड़े ही विश्वास के साथ इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की शिक्षा प्रणाली में कोई कमी नहीं हैं, क्योंकि यहीं से पढ़ने के बाद बहुत से ऐसे भारतीयों का उद्धाहरण दिया जो बाद में जिन्हें नोबल पुरुष्कार तक मिला जैसे सी.वी. रमन, हरगोविंद खुराना, इत्यादि। उन्होंने ने ऑप्टिकल फ़ाइबर के जनक नरेंद्र सिंह कपानी, जिनकी शिक्षा दीक्षा अगरा विश्वविद्यालय से थी और आज पूरा विश्व ऑप्टिकल फ़ाइबर के करिए ग्लोबल विलिज में परिवर्तित हो चुका है। उन्होंने ने साथ ही इस बार पर बल दिया कि अगर हमारे छात्र गहन एवं एकाग्रचित्त हो कर अध्ययन करें तो आने वाले समय में कोई भी चमत्कार कर सकते हैं और इसके लिए आने वाली चुनौतियों से सामना करने के लिए तैयार रहने की जरुरत है और इस पखवाड़े का मक़्सद भी छात्रों को कोविड के बाद आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उन्ही चुनौतियों से अपने लिए सम्भावना निकलने का मंत्र ढूँढने में छात्रों की मदद के लिए एक उपयुक्त मंच देने का प्रयास है। युवाओं को सशक्त बनाना; भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी में से एक है। इसमें बड़ी संख्या में सूक्ष्म और लघु उद्यम हैं। भारत तीसरी सबसे बड़ी संख्या में यूनिकॉर्न कम्पनीज़ का घर है। नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सफल भारतीय के कई उदाहरण दिए गए। उन्होंने छात्रों को उद्यमशीलता कौशल के विकास पर जोर दिया। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने उद्धाहरण के तौर पर राहुल गुप्ता (सौर्य ऊर्ज़ा) एवं रितेश अग्रवाल (ओयो रूमस) के द्वारा स्टार्ट उप शुरू करते वक़्त हुई समस्याओं का कैसे सामना किया आदि बातों  ज़िक्र किया। उन्होंने सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के विकास, वित्त पोषण और कार्यान्वयन के लिए सामाजिक उद्यमिता पर भी जोर दिया। सामाजिक उद्यमशीलता ग्रामीण विकास को मजबूत कर सकती है। कुलपति ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि GBU में हम छात्रों को आवश्यक कौशल प्रदान करते हैं और उनके स्टार्ट अप में मदद करने के लिए एक ऊष्मायन केंद्र है। नौकरी मेले नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। इस तालाबंदी के दौरान ऑनलाइन जॉब फेयर का आयोजन किया गया था। पहले दिन के पहले सत्र की शुरुआत इस कार्यक्रम  संयोजक डॉ मनमोहन सिंह शिशोदिया ने की तत्पश्यचात प्रो श्वेता आनंद ने कार्यक्रम  विषयवस्तु  एवं मुख्य वक्ता का परिचय कराया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ शक्ति शाही ने किया। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. संदीप सिंह राणा द्वारा  टेक्निकल सपोर्ट (मीटिंग मैनेजमेंट, यू टयूब स्ट्रीमिंग) की पूरी व्यवस्था की गयी है।

 

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