नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) चीफ के. सिवन ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान 2 को लेकर बताया कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के सटीक लोकेशन का पता चल गया है, हालांकि फिलहाल उससे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। सिवन का कहना है कि कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के लोकेशन का पता चल गया है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल तस्वीर भेजी है। गौरतलब है कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था, हालांकि सिवन ने यह स्पष्ट किया है कि लैंडर विक्रम से अभी तक संपर्क स्थापित नहीं हो सका है इसकी कोशिशें लगातार जारी हैं। चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम को 6-7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद की सतह पर लैंड होना था, हालांकि 2.1 किलोमीटर दूर ही धरती पर स्थित इसरो के स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया। इसरो चीफ के. सिवन ने तब इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि चंद्रयान 2 के ‘विक्रम’ लैंडर से संचार को शनिवार की तड़के लूनर सर्फेस पर पहुंचने से 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया और डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं, क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है, एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है, इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं, यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा। उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है, रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी, फिर इसरो वैज्ञानिको को इंतजार करना पड़ेगा। इस बीच, इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है। अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके। बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
डेटा एनालिसिस से मिल सकेगी वास्तविक स्थित
भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा। इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका, इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो। इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया, यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं।