नई शिक्षा नीति को मिली मंजूरी, एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम, उच्च शिक्षा संस्थानों में कॉमन प्रवेश परीक्षा

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नई दिल्ली,29 जुलाई(एजेन्सी)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है, उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है. इसके बाद बाकायदा प्रेजेंटेशन देकर नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे। अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी। हालांकि, त्रिभाषा फॉर्मूला को जारी रखा गया है। इसके अलावा मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।  नया अकादमिक सत्र सितंबर-अक्टूबर में शुरू होने जा रहा है और सरकार का प्रयास पॉलिसी को इससे पहले लागू करने का है। शिक्षा क्षेत्र के सुधारों की पीएम मोदी की ओर से समीक्षा के बाद सरकार ने कहा था कि सरकार का उद्देश्य सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा में सुधार लाना है। एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लाया जाएगा जिसका फोकस कई भाषाओं, 21वीं सदी की कुशलता, खेल और कला आदि के समावेश पर होगा। स्कूली और उच्च शिक्षा में टेक्नॉलजी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर भी विस्तार से चर्चा की गई थी।

उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन प्रवेश परीक्षा

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। इससे पहले, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट 2019 में ही तैयार कर लिया गया था, जिसकी मंजूरी आज, 29 जुलाई 2020 को दी गयी है। बता दें कि इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी और 1992 में संशोधित की गई थी। पिछली नीति तैयार होने में तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है। बदलावों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति की आवश्यकता है। सरकार शिक्षा प्रणाली की अधिकता की योजना बना रही है और आज कैबिनेट बैठक में ड्राफ्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा की जाएगी। एनईपी का मसौदा सरकार ने 2019 में पेश किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में शिक्षा नीति की घोषणा की।

विद्यालय स्तर पर बुनियादी  शिक्षा में ये सुधार

बुनियाद शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा। पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। नये कौशल (जैसे कोडिंग) का शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा। गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ जाएगा। नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बाटा जाएगा। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम लाइफ स्किल होगी।

क्या है नई शिक्षा नीति में

1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे की सिफारिशों के अनुसार इसका नाम बदल दिया गया है।
2. नई नीति का उद्देश्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना और सभी के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना है। ड्राफ्ट एनईपी पहुंच, सामर्थ्य, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही पर आधारित है।
3. मसौदे के अनुसार यह समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करता है और 2030 तक सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देता है।
4 यह रट्टा सीखने के बजाय वैचारिक समझ पर अधिक जोर देता है। नई नीति में प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाना चाहिए और विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए।
5. उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक होगा। वर्तमान परिदृश्य में हमारे पास एनसीटीई, यूजीसी और एआईसीटीसी हैं।
6. उच्च शिक्षा में निरीक्षण आधारित प्रणाली के बजाय स्व-प्रकटीकरण-आधारित प्रणाली होगी।
7. तारीख के अनुसार, विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों और एकल संस्थानों की तरह सभी संस्थानों के लिए एक मानक होगा।
8. शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का कुल व्यय बढ़ाकर 6% कर दिया गया है। अब यह राज्य और केंद्र सरकार सहित 4.43% है।
9. फीस पर कैप होगी चाहे यह एक निजी विश्वविद्यालय हो या सार्वजनिक।
10.राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में काम करेगा।
11. हमारी मानक शिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाना इस नई शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य है।
12. नॉलेज शेयरिंग (दीक्षा) के लिए यह डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर शिक्षा को गुणवत्ता और नवीनता के साथ प्रभावित करेगा और भारत शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर वृद्धि के एक नए युग की शुरूआत करेगा।
13. नई शिक्षा नीति शिक्षा की गुणवत्ता में एक समुद्री परिवर्तन लाने के लिए एक समग्र प्रयास है, हमारे राष्ट्रीय लोकाचारों को हमारी शैक्षिक प्रणाली में एकीकृत करती है और छात्रों को उत्तीर्ण करने के आचरण और व्यवहार में नैतिकता और मूल्यों को सफलतापूर्वक स्थापित करती है।
14. एनईपी-2020 अनुसंधान और विकास की गुणवत्ता को बढ़ाएगा।

शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर, प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी। वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा। छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा। नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगी। नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी। एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा। 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा। गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा।

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