बच्चे अपनी कलात्मकता के माध्यम से भारत को बदलने की कोशिश कर रहे हैं-शिव प्रताप शुक्ला

-गरीब बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने के लिए नवोदित उत्सव का हुआ आयोजन

ग्रेटर नोएडा,22 दिसम्बर।  राष्ट्रीय सेवा योजना गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय और यूथ फॉर सेवा के संयुक्त प्रयास से बदलते भारत की अनोखी तस्वीर देखने को मिली, कला का ऐसा संगम जो परस्पर संवाद करता हो। यूथ फ़ॉर सेवा द्वारा आयोजित “नवोदित” उत्सव में नोएडा की झुग्गियों से आए बच्चों ने अपने हुनर से जलवा बिखेरा, मौका था अपने अंदर छुपी सृजनात्मकता को दिखाने का। बच्चों ने अपने नृत्य, नाटक और अपने गीतों से वहां उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व वित्त राज्य मंत्री एवं राज्य सभा सांसद  शिव प्रताप शुक्ला ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये बदलते भारत की तस्वीर है, जहां एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को अपनी कलात्मकता के माध्यम से भारत को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा अब दुनियां मुट्ठी में है सोचना सिर्फ यह है कि अगर मुट्ठी खुली तो भारत के युवाओं को किस ओर जाना है  शुक्ला ने कहा कि भारतीय समाज न पहले स्वार्थी था न अब है।

अब भारत अपनी तरक्की आप जैसे युवा वॉलेंटियरों  में देख रहा है। आज मेरे लिए पहला मौका है कि मैं देख रहा हूं कि यूथ फ़ॉर सेवा के 100 वॉलेंटियरों ने एक महीनें तक झुग्गियों में जाकर 1700 बच्चों को प्रक्षिक्षण दिया। अर्थात, आज ये युवा अपने लिए ही नहीं जीते दूसरों का हाथ बटाने में भी सहायक हैं। अगर मैं कहूंगा कि भारत मैं से हम की ओर बढ़ रहा है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। वहीं कृपाशंकर ने कहा कि समाज अपने स्वभावों में आशातीत परिवर्तन कर रहा है। आज बच्चों के हूनर को निखारने का जो काम यूथ फ़ॉर सेवा कर रहा है,अपने आप में अतुलनीय है। यह जो आरोप लगते हैं कि आज के युवा समाजिक कार्य नहीं करते उसका जीता-जागता उदाहरण आज का यह कार्यक्रम है जहां 100 से अधिक युवाओं ने 1700 से अधिक बच्चों को उनके अनुरूप प्लेटफॉर्म देने का कार्य किया। आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है ,जहां बच्चों को अपने सीनियर्स से रैंगिग के बजाय प्यार और स्नेह मिल रहा है।  यूथ फ़ॉर सेवा की अदीबा ने कहा कि यह हमारे वोलेंटियरों की अथक मेहनत का परिणाम है कि आज हम इतने बच्चों को प्लेटफार्म देने में सफल रहे। उन्होंने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि समाज के अंदर छोटे-छोटे स्तर पर सामाजिक संस्थान काम कर रहे हैं पर उन्हें कोई प्लेटफार्म नहीं मिल पाता। वहीं शालिनी ने बताया कि यहां 45 सामाजिक संस्थानों के बच्चे आए हुए हैं। इन बच्चों के लिए हमने 16 प्रतियोगिताएं आयोजित की गयी।

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