आचार्य प्रशांत ने बताया सससामयिक आध्यात्म में वेदान्त का महत्व

Acharya Prashant told the importance of Vedanta in contemporary spirituality

ग्रेटर नोएडा। प्रशांत अद्वैत संस्था के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने आयोजित वेदांत महोत्सव में संबोधित करते हुए, विभिन्न बिन्दुओं पर अपने विचार रखे। जिसमें युवाओं में मोबाइल एवं अन्य आधुनिक उपकरणों का दुष्परिणाम। महिला सशक्तिकरण के असली मायने। समसामयिक अध्यात्म में वेदांत का स्थान। धर्म के नाम पर फैलता अंधविश्वास। प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि एक बालक जिस समय गलत रास्ता अख्तियार करता है उसी समय उसे सुधारने की जरुरत है। आध्यात्म की कोई उम्र नहीं होती है। उन्होंने कहा कि कुरूक्षेत्र- जहां श्रीमद् भगवद्गीता का जन्म हुआ, उसे होना चाहिए था सबसे ऊंचा तीर्थ स्थान। गीता का आज भी कम महत्व है और भागवद पुराण का अधिक महत्व हो गया है कृष्ण अनुयायियों में। गीता सीधे-सीधे ठोस युद्ध के लिए ललकारती है। आम आदमी के लिए बड़ा कठिन है गीता पढ़ना, क्योंकि वो सीधे-सीधे युद्ध को पुकारती है। तो हम फिर भागवद पुराण की शरण ले लेते हैं। पौराणिक कहानियों से ताकत नहीं मिलेगी।

मथुरा-वृंदावन, इन सब से कहीं ज़्यादा महत्व कुरूक्षेत्र का नहीं होता, अगर हमें सच में गीता का सम्मान होता। जहां गीता आविर्भूत हुई थी, उस जगह से हमारा कोई लेना-देना ही नहीं, हमें चाहिए रास। कुरुक्षेत्र सबसे ऊंचा तीर्थ होना चाहिए था। कई राष्ट्रीय बेस्टसेलर पुस्तकों के लेखक आचार्य प्रशांत की प्रेरणा से संचालित प्रशांत अद्वैत संस्था प्रति माह वेदांत महोत्सव का आयोजन करती है। इन महोत्सवों में देश दुनिया से बड़ी संख्या में जिज्ञासु उपस्थित होते हैं। 24 से 26 जून को आयोजित वेदांत महोत्सव में साधकों ने आचार्य प्रशांत से अपने मन की बात की।

प्रशांत अद्वैत संस्था द्वारा, एक प्रकाशक के रूप में, 100 से अधिक आध्यात्मिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं। इनमें से कई पुस्तकें राष्ट्रीय बेस्टसेलर भी हैं। आचार्य प्रशांत एक युवा मर्मदर्शी हैं, जिन्होंने देश के सर्वोच्च शिक्षा संस्थानों से विज्ञान एवं प्रबंधन की शिक्षा पाने के बाद प्रशासनिक सेवा के ऊपर एक आध्यात्मिक मिशन को चुना। उनके माध्यम से भारतवर्ष में वेदांत का प्रकाश काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। अगला वेदांत महोत्सव 29 से 31 जुलाई को ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया जाएगा।

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