ग्रेटर नोएडा,29 सितम्बर। विश्व हृदय दिवस हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय रोगों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना और हृदय रोगों को नियंत्रित करना जिससे उनके वैश्विक प्रभाव को कम किया जा सके। हृदय रोग (सी.वी.डी) विश्व स्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण है। 2016 में सी.वी.डी से अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जो सभी वैश्विक मौतों का 31% भाग है। इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुईं। भारत में हृदय गति रुकने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह एक प्रगतिशील और पुरानी स्थिति है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां समय के साथ सख्त हो जाती हैं और हृदय रक्त को ठीक से पंप करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की मात्रा सीमित हो जाती है। जेपी अस्पताल नोएडा के सी.ई.ओ और डायरेक्टर- कार्डियक सर्जरी – डॉ. मनोज लूथरा ने कहा, “कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर में अधिक लोग घर से काम कर रहे हैं। यह उपाय वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ) ने पाया कि लंबे समय तक काम करने से हृदय रोग और स्ट्रोक से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के अनुमानों के मुताबिक, 2016 में लंबे समय तक काम करने से स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग से 7,45,000 लोगों की मौत हुई, जो 2000 के बाद से 29 प्रतिशत की वृद्धि की है।
डॉ मनोज लूथरा ने कहा कि “महामारी में, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, क्योंकि घर से काम करने से लोगों को अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहना पड़ता है। आजकल, न केवल काम के घंटे अत्यधिक लंबे हो गए हैं, बल्कि काम पर तनाव तेजी से बढ़ गया है। काम के लिए अधिक समय अक्सर स्वस्थ्य को प्रभावित करता है| देखा गया है, काम के लिए विश्व स्तर पर एक दूसरे से जुड़े लोग निर्धारित समय के बाद भी घंटो काम में व्यस्त रहते हैं। यह सब शरीर में हानिकारक तनाव प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है,” हार्ट फेलियर के अधिकांश रोगियों का निदान उनके प्रथम बार अस्पताल में भर्ती होने के समय हो जाता है। यह स्पष्ट रूप से दिल की विफलता के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी को दर्शाता है। गतिहीन जीवन शैली, बढ़ता तनाव का स्तर, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, तंबाकू का सेवन, मधुमेह और प्रदूषण भारत में अधिक से अधिक लोगों को हृदय रोगों की चपेट में ले रहा हैं। तनाव परीक्षण, कोरोनरी कैल्सीफिकेशन या सी.टी, एडवांस्ड लिपिड की जांच सी.आर.पी आदि जाँचो की मदद से हृदय रोग होने का पता लगाया जा सकता है। लोगों को अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए स्वर्ण युग के तीन नियम – 30-40 मिनट दैनिक व्यायाम, संतुलित आहार और सकारात्मक मानसिकता का पालन करना चाहिए।