ग्रेटर नोएडा,20 जनवरी। राष्ट्र चिंतना की ग्यारहवीं मासिक गोष्ठी आईआईएमटी कॉलेज, ग्रेटर नोएडा में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सनातन संकल्प विषय पर आयोजित हुई। विषय परिचय करवाते हुए एमिटी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा कि 500 से अधिक वर्षों के लंबे संघर्ष के पश्चात श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का सनातन संकल्प 22 जनवरी को पूरा होने वाला है। यह पूरे विश्व के सनातनियों के लिए गौरव और हर्ष का दिव्य और भव्य उत्सव है। मुख्य वक्ता गोस्वामी सुशील महाराज ने कहा कि वे कई देशों में रामलीला का मंचन कर चुके हैं, वो सभी श्रीराम को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। श्रीराम के भव्य मंदिर का शुभारंभ हर भारतीय के लिए ऐतिहासिक क्षण है। दिल्ली विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. अजीत कुमार पुरी ने कहा कि राम मंदिर के संकल्प पूर्ण होने के पश्चात सनातन धर्म की शासन में संवैधानिक प्रतिष्ठा हो जाय तो हिंदुओं को अपने आराध्य के जन्मस्थानों के लिए कोर्ट कचहरी में मुकद्दमे नहीं लड़ने पड़ेंगे। जो स्वाभाविक रूप से सनातनियों की है, उसके लिए संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत, पूर्व कुलपति कुमाऊं और गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का सनातन विरोध और राम विरोध जगजाहिर है। इन्होंने श्रीराम के अस्तित्व के विरोध में न्यायालय में शपथपत्र तक दिया था। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का भी विरोध किया था।
गोष्ठी के अंत में सभी प्रबुद्धजनों ने तय किया कि 22 जनवरी को सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि श्री राम के चित्र/मूर्ति के सामने दिए जलाएं, घरों में रंगोली बनाएं, रोशनी करें, मिष्ठान वितरित कर अपने प्रभु श्री राम का स्वागत करें। गोष्ठी में राजेन्द्र सोनी, डॉ. के.के. पालीवाल, डॉ. बी. के. श्रीवास्तव, डॉ. उमेश, अशोक राघव, सरोज तोमर, मंजू, विजय भाटी, अरविंद साहू, विवेक द्विवेदी, नमित भाटी, आर. पी. सिंह, संजीव शर्मा, निधी माहेश्वरी, मीनाक्षी, मुकेश, हरमोहन, राशी, जूली, नीलम, वंदना, राजीव रंजन, आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।