ग्रेनो/रबूपुरा। किसानों को अपनी फसल में दलहनी फसलों का समावेश जरूरी है। क्योंकि दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती हैं। दलहनी फसलें मानव पोषण व स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण हैं। इन फसलों की जड़ में राइजोबियम जीवाणु की ग्रन्थियां होती हैं। जो वायुमंडल से स्वतंत्र नाइट्रोजन का भूमि में स्थिरीकरण करतीं हैं। उक्त जानकारी एमिटी कृषि प्रसार सेवा केंद्र की प्रभारी डॉ0 नीतू सिंह ने आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए व दलहन उत्पादन को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के सहयोग से गुरुवार को गौतम बुद्ध नगर के गांव तालडा में आयोजित किसान गोष्ठी के दौरान दी। इसके साथ ही वरिष्ठ शोध अधिकारी डॉ0 रोशनलाल ने दलहन का महत्व बताते हुए इसका क्षेत्रफल बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि गेंहू, चावल की फसल पद्वति में रासायनिक पेस्टिसाइड एवं खाद का अधिक प्रयोग किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप भूमि की संरचना व उर्वरता में कमी आ रही है। दलहनी फसलों से कम लागत में अधिक आमदनी के साथ ही किसानों में आत्म निर्भरता आती है। इसके साथ ही कृषि रक्षा प्रभारी ज्ञानेन्द्र सिंह व प्रयोगशाला प्रभारी मोहनलाल ने भी किसानों को अहम जानकारी दी। इस अवसर पर दर्जनों किसान मौजूद रहे।