एनआईईटी,फार्मेसी संस्थान में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने ई-कांफ्रेंस का किया आयोजन

एनआईई टी,फार्मेसी संस्थान में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने ई-कांफ्रेंस का किया आयोजन

ग्रेटर नोएडा,25 नवम्बर। एनआईईटी, फार्मेसी संस्थान में एक तीन दिवसीय, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा प्रायोजित ई-कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक थ्री-डी प्रिंटिंग के माध्यम से निजीकृत दवा वितरण, फार्मा इंडस्ट्रीज के लिए नई चुनौतियाँ था। एवं इसमें फार्मा उद्योगों में होने वाली नई चुनौतियों के लिए नवीन विचार प्रदान किया गया। सत्र की शुरुआत एनआईईटी के निदेशक डॉ. विनोद एम. कापसे के भाषण के साथ की गई, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आधुनिक समाज दवा की उच्च गुणवत्ता युक्त शुद्धता की मांग करता है, जिनको व्यक्तिगत रूप से डिज़ाइन की गयी दवाओं से ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने आग्रह किया कि शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के शिक्षण और मानकों दोनों के संबंध में ज्ञान और कौशल का एक बड़ा हिस्सा होना चाहिए। डॉ. मीनाक्षी बाजपाई, हेड, फार्मेसी इंस्टिट्यूट, जीएलए यूनिवर्सिटी ई-कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह के अतिथि थे। उन्होंने इस तरह की कांफ्रेंस की उपयोगिता के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वास्तव में चिकित्सा उपकरण होते क्या हैं और आने वाले विनियमन के पीछे विभिन्न फार्मास्युटिकल कंपनियों का कानूनी इतिहास क्या हैं। उन्होंने ज्ञान के उन्नयन के साथ साथ फार्मेसी पेशेवरों के व्यक्तित्व विकास पर भी जोर दिया। कांफ्रेंस की मुख्या अतिथि डा.अर्चना मुद्गल, रजिस्ट्रार कम सचिव , फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने पर्सनलाइज्ड दवाओं की सार्थकता एवं साथ ही कोरोना काल में इस से किस तरह से अधिकतम फायदा लिया जा सकता है। इस के बारे में चर्चा प्रो(डॉ) एस एच अंसारी, पूर्व डीन, स्कूल ऑफ़ फ़ार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, नई दिल्ली उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने हाल के समय में निरंतर तकनीकी और वैज्ञानिक सुधार के साथ दवाओं की प्राचीन भारतीय प्रणाली में व्यक्तिगत चिकित्सा के इतिहास के बारे में जानकारी दी। डॉ. पी.पचौरी, निदेशक (प्रोजेक्ट एवं प्लानिंग) ने भारत में उद्योगों के विकास के लिए आईपीआर आवश्यकताओं के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. अविजीत मजूमदार, निदेशक, फार्मेसी संस्थान ने अपने संबोधन में चिकित्सा और औषधि विकास तकनीकों के वर्तमान परिदृश्य के बारे में जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया। फार्मेसी संस्थान की डीन डॉ. रूपा मजूमदार ने इस तरह के आयोजन करने के अवसर प्रदान करने में प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने डॉ. विनोद एम. कापसे, (निदेशक), डॉ. अतुल कुमार नासा (डिप्टी ड्रग कंट्रोलर, नई दिल्ली), प्रो (डॉ) एच एस अंसारी (पूर्व -डीन, एसपीईआर, जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय को भी धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने डॉ. पी. पचौरी, निदेशक (प्रोजेक्ट एवं प्लानिंग), डॉ अविजित मजुमदार (निदेशक, फार्मेसी संस्थान) और सभी कर्मचारी और छात्रों को कार्यक्रम के अच्छे संचालन में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

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