गुरुकुल में गीता जयंती पर गीता की दैनिक जीवन में उपयोगिता पर वक्ताओं ने रखे अपने-अपने विचार, बटुकों ने किया गीता पाठ

On Geeta Jayanti in Gurukul, speakers presented their views on the usefulness of Geeta in daily life, Batukas recited Geeta.

-आचार्य रविकांत दीक्षित ने गीता के महत्ता को बताते हुए सनातन धर्म व संस्कृति पर रखे विचार

-गुरुकुल में नए बटुकों के प्रवेश प्रक्रिया फरवरी माह में हो जाएगी शुरु

ग्रेटर नोएडा,15 दिसम्बर। सेक्टर ईटा-एक स्थित महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल में गीता जयंती के अवसर पर दैनिक जीवन में गीता आवश्यक क्यों? विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में गुरुकुल के बटुकों ने भगवान का पूजन एवं गीता और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया। मुख्यवक्ता के रुप में श्याम शंकर शुक्ला (सलाहकार, चुनाव आयोग) ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता की जीवन में निर्णायक भूमिका के संबंध में विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने कहा कि वह जीने की प्रत्याशा ही नहीं बल्कि सुकर्मों के अनुसार हमें सब मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है। गीता को साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है और इनमें दिए गए ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन में अधर्म रूपी अंधकार को दूर कर सकता है। गुरुकुल की जीवन शैली का उद्धरण देते हुए जीवन के तत्वों को गीता से सीखने के बारे में कहा कि गीता ही केवल विश्व में ऐसा ज्ञान का भंडार है जिससे जिसके एक श्लोक को भी अपनाने से जीवन का सार और उद्देश्य समझ में आ जाता है। गुरुकुल के संरक्षक वी.पी. नवानी तथा अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा ने गीता सार बताते हुए कहा कि कर्म के लिए विश्व भर में सबसे अधिक किसी धार्मिक ग्रंथ में उपदेश दिया गया है तो वह गीता ही है। उन्होंने गीता के प्रत्येक अध्याय के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक करते हुए अंतिम कर्मयोग अध्याय के बारे में बताया।

On Geeta Jayanti in Gurukul, speakers presented their views on the usefulness of Geeta in daily life, Batukas recited Geeta.

गुरुकुल के संस्थापक आचार्य रविकांत दीक्षित गुरु ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गीता जयंती को सनातन धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार गीता एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ है जिसे स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सुनाया था। गीता जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष के मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में गीता के महत्व के बारे में कहा कि आज तकनीकी दिशा में बढ़ते कदम हमारी परंपराओं से विमुख हो रहे हैं, ऐसे में गीता ही है जो हमें हमारे सार्थक उचित ज्ञान कराने में हमारा योगदान देती है।

आचार्य ने गीता को परम विशिष्ट बताते हुए कहते हैं कि यह पृथ्वी हमेशा ही योगियों के द्वारा संरक्षित रही है।  उनमें से हमारे कृष्ण के रूप में परम योगी ने उपदेशात्मक वाक्य जो अर्जुन को कहे वही गीता है। गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों को पढ़ा जाता है और जीवन में उन्हें पालन करने का प्रण लिया जाता है। गुरुकुल एक ऐसी संस्था है जिसके द्वारा हम अपने धार्मिक ग्रंथों को संरक्षित एवं पल्लवित कर सकते हैं। आधुनिक प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में गीता को भी एक विषय के रूप में मान्यता मिले इसके लिए हम सब को प्रयासरत होना चाहिए। सभी से आग्रह करते हुए कहा हम सब प्रतिदिन यदि गीता पाठ ना कर सके तो गीता के कुछ लोगों को अवश्य पढ़ें। गीता को जनसाधारण मनुष्य की पहुंच बनाने के लिए गुरुकुल एक उचित माध्यम है। सभी महानुभावों से गुरुकुल के नवीन भवन निर्माण में सहयोग के लिए आह्वान भी किया। कार्यक्रम का संचालन अलंकार शर्मा ने किया। भंडारा प्रसाद के उपरांत कार्यक्रम संपन्न किया हुआ। इस अवसर पर गुरुकुल परिवार के सदस्य एवं शहर के अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे।

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