ग्रेटर नोएडा,23 फरवरी। परीक्षा के दौरान अधिकतर छात्रों को परीक्षा में फ़ेल होने का तनाव बना रहता है। अच्छे नंबर लाने का दबाव, अभिभावकों की अपेछाओं पर खरे उतरने का दबाव होता है। इस प्रकार के अनेक दबावों की बजह से बच्चे कभी कभी परीक्षा भय या एग्ज़ाम फोबिया का शिकार हो जाते है और ऊनके मन में एक अंजान सा डर बैठ जाता है जिससे कि वे परीक्षा के दौरान अपना मूल योगदान नही दे पाते है। परीक्षा के दौरान इन सभी परेशानियो के लिये लक्षणो के आधार पर अनेक होमियोपैथिक औषधियों कारगर है। इन होमियोपैथी की मीठी मीठी गोलियो की विशेषता यह है की ये नुकसान भी नहीं करती है। ग्रेटर नोएडा के प्रसिद्ध होमियोपैथिक मनोचिकित्सक डा.जितेंद्र सिंह,एम.डी (होम) बताते है कि परीक्षा में फ़ेल होने के डर के लिये होमियोपैथिक दवाई इथुजा, जेलसीमीयम, परीक्षा के दौरान होने वाली परेशानियों व डर के लिये लाइकोपोडियम तथा साईलीशिया का उपयोग उपयुक्त है।
-एक्जाम फोबिया है एक मनोविज्ञानिक बिमारी
-परीक्षा के दौरान खुद को एक कमरे तक कैद ना करें
-तनाब से बचने के लिये थोड़ा बहुत संगीत सुने, घूमें फिरे , ध्यान व योग करें
-अधिक देर रात तक ना पड़ें, पूरी नीद ले
परीक्षा के दोरान होने वाले सर दर्द, बार बार पेशाब लगना, दस्त एवं घवराहट की समस्या होने पर जेल्सीमियम तथा अरजेन्टम नाईट्रिकम का सेवन करें। एग्ज़ाम फोबिया से लगभग 30 से 40 प्रतिशत विद्यार्थी ग्रसित होते है। विद्यार्थियो पर अभीभावकों का अधिकतम अंक लाने का दबाब होता है इस बजह से बच्चे खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेते है, दबाव का शिकार होकर खाना पीना भी अव्यवस्थित हो जाता है। इस दौरान बच्चो में अजीब सी परेशानी, उलझन, घवराहट, बार बार पेशाव व शौंच को जाना आदि तरह की परेशानी होने लगती है। बच्चा गुमशुम सा चुपचाप रहने लगता है। किसी से अपने मन की बात नही कहता और अंदर ही अंदर घुटने लगता है। लेकिन जब यही दबाब अत्यधिक परेशान करने लगता है तो काफी बच्चे उस तनाव व दबाब के चलते गलत कदम तक उठा लेते है। इस तरह के माहोल में बच्चो के मन में बार बार आत्महत्या के विचार आते है, नीद उड़ जाती है, फेल होने का डर हावी हो जाता है और छात्र याद की हुई पडाई को भी भूल जाते है। इस तरह के समय में प्रत्येक अभिभावक को परीक्षा के दोरान बच्चो के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर उनके स्वास्थ व खान पान का खास ध्यान रखना चाहिए और उनकी उचित देखरेख खुद करनी चाहिये। परीक्षा में होने वाली कठिनाइयाँ पर बच्चो से खुली चर्चा करनी चाहिये। माता पिता बच्चो को सही से समझाए कि हमें परीक्षा के अंको से ज्यादा आपकी जिंदगी की चिंता है, इसलिये आप सिर्फ सही दिशा मै मेहनत करे, अंको की चिंता ना करें। और किसी भी प्रकार की परेशानी का अनुभव करने पर तुरंत किसी योग्य होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श करें। बोर्ड परीक्षाओ के दोरान किसी भी प्रकार की सहायता हेतु हमारी निःशुल्क हेल्प लाईन न. 8510909610 पर शाम 6 से 9 बजे तक सम्पर्क कर सकते है।
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