ग्रेटर नोएडा,5 अक्टूबर। एनआईईटी ग्रेटर नोएडा के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग द्वारा एआईसीटीई से प्रायोजित इंटरनेट ऑफ थिंग्स विषय पर छः दिवसीय अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 5 अक्टूबर 2020 को मुख्य अतिथि डॉ के.के. अग्रवाल-अध्यक्ष-एनबीए, अतिथि डॉ. रघुराज सिंह- विभागाध्यक्ष-सीएसई-एचबीटीयू कानपुर, रमन बत्रा-कार्यकारी उपाध्यक्ष-एनआईईटी, प्रवीण सोनेजा-महानिदेशक-एनआईईटी, डॉ विनोद कापसे-निदेशक- एनआईईटी, डॉ. सी. एस. यादव-विभागाध्यक्ष-सीएसई, प्रो. मयंक दीप खरे कोर्स-कोआर्डिनेटर, शिक्षकगण तथा प्रतिभागियों की उपस्थिति में ऑनलाइन माध्यम से किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से उद्योग एवं शिक्षण जगत के प्रतिनिधियों तथा शोधार्थियों समेत 100 प्रतिभागी शामिल हुये हैं। इस छः दिवसीय अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के नामचीन शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर तथा उद्योग जगत के विशेषज्ञ इंटरनेट ऑफ थिंग्स विषय पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करेंगे। डॉ. सी. एस. यादव-विभागाध्यक्ष-सीएसई ने अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि, सभी गणमान्य व्यक्तियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की विषय वस्तु तथा वक्ताओं एवं विशेषज्ञों के विषय में अवगत कराया। डॉ विनोद कापसे-निदेशक- एनआईईटी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभकामानाएं दीं।
प्रवीण सोनेजा-महानिदेशक-एनआईईटी ने कहा कि आज इंटरनेट ऑफ थिंग्स उद्योग जगत में संचालन गतिविधियों तथा व्यवस्था का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है तथा इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से हम निश्चित ही भविष्य की आवश्यकतों को पूरा करने की ओर कदम बढ़ा पाएंगे। अतिथि डॉ रघुराज सिंह-विभागाध्यक्ष-सीएसई-एचबीटीयू कानपुर ने क्लाउड कम्प्यूटिंग तथा आईओटी के व्यावसायिक उपयोग तथा इसके विकास की असीम संभावनाओं के विषय पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. के. के. अग्रवाल-अध्यक्ष-एनबीए ने अपने उद्बोधन में एनआईईटी ग्रेटर नोएडा को उत्तर प्रदेश का पहला निजी ऑटोनामस शिक्षण संस्थान बनने पर शुभकामनाये दीं। डॉ. अग्रवाल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के संदर्भ में कहा कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स आज विश्व में बहुचर्चित अध्ययन एवं शोध का विषय बन गया है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आईओटी पर अच्छे शोध की अवश्यकता है जिससे उद्योग तथा शिक्षण जगत दोनों की आवश्यकताओं को कुशलता के साथ पूरा किया जा सके। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के निष्कर्ष पर प्रोजेक्ट राइट-अप लिखने के लिए कहा जिससे शोध तथा आईपीआर के साथ-साथ नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।
सत्र में डॉ रघुराज सिंह, डॉ. प्रवीण पचौरी तथा प्रो. उत्सव कुमार मालवीय ने आईओटी तथा साइबर मैन्युफेक्चरिंग विषयों पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. पचौरी ने साइबर मैन्युफेक्चरिंग सिस्टम्स की तकनीकी बारीकियों से युवा शोधर्थियों को परिचित कराया। उन्होंने व्यक्ति विशेष द्वारा चाहे गए उत्पादों को साइबर मैन्युफेक्चरिंग के प्रयोग से मास प्रॉडक्शन की कीमत पर बनाने के लिए आवश्यक संसाधन और डेटा एक्सचेंज, प्रोसेसिंग तथा विश्लेषण विधियों की बारीकियों पर गहन चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत की औद्योगिक समृद्धि के लिए इंटरनेट के माध्यम से मशीनों से डेटा का संकलन, अनुकूलन, आईटी इंटीग्रेशन, औटोनोमी बेस्ड इंटेलिजेंट कम्पोनेंट्स तथा मनुष्य-मशीन का सही संवाद आवश्यक है।
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