गौतम बुद्ध विश्विद्यालय के शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के साथ विद्यार्थी भी हुए शामिल
ग्रेटर नोएडा,3 अप्रैल(देशबन्धु)। गौतम बुद्ध विश्विद्यालय के शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा एक ऑनलाइन अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय “लॉकडाउन पीरियड के दौरान शिक्षण एवं अधिगम की प्रक्रिया” रहा। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर सुषमा पाण्डेय, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय ने अपने ऑनलाइन अभिभाषण में शिक्षा में हो रहे विभिन्न बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रसार के कारण समाज के लिए लचीली शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। वर्तमान समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, आज हमें नित परिवर्तित होने वाले बदलावों में सहभागी बनना है तथा शिक्षण -अधिगम प्रक्रिया को सुचारू रखना है। ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा के क्षेत्र में कोई नवीन अवधारणा नहीं है, वरन पिछले कई दशकों से हम किसी न किसी रूप में इसके नित परिवर्तित होते हुए स्वरुप से परिचित होते रहे हैं। वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हम इसका परिवर्धन तथा परिसंस्करण करें तथा इसे विद्यार्थी केंद्रित बनायें, ताकि वर्तमान परिस्थितिओं में विद्यार्थी अपने ज्ञानार्जन को अनवरत जारी रख सकें। इस हेतु एक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। इस शैक्षिक संवाद का आयोजन ज़ूम एप के माध्यम से किया गया था। इसमें विभिन्न विश्विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, विभागाध्यक्ष, एवं फैकल्टी ने भी प्रतिभागिता की तथा सामूहिक परिचर्चा में भाग लिया। व्याख्यान में विश्विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भी ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया के सन्दर्भ में अपने अनुभवों को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार शनवाल ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा को धन्यवाद दिया, जिनकी प्रेरणास्वरूप विश्वविद्यालय इस प्रकार के व्याख्यान आयोजित कर रहा है। तथा विद्यार्थी विषय विशेषज्ञों के ज्ञान से लाभान्वित हो रहे हैं। इसी क्रम में डीन स्कूल ऑफ़ हयूमैनिटिज़ एंड सोशिअल साइंसेज, डॉ. नीति राणा का भी अनवरत सहयोग हेतु धन्यवाद अर्पित किया।विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार शनवाल ने अतिथि व्याख्यान की मुख्य वक्ता, प्रोफेसर सुषमा पाण्डेय दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय का धन्यवाद देते हुए कहा कि आज जब चारों ओर एक अवसाद की स्थिति है, इस परिवेश में इस प्रकार के अतिथि व्याख्यानों की प्रासंगिकता बढ़ जाती है।