-भारत की संस्कृति अन्य देशों से भिन्न कैसे बनाती है उसके लिए शोध करने की जरुरत
ग्रेटर नोएडा,31 जनवरी। हिन्दू–मुसलमान में जो गलत फहमी पैदा हो गयी है, इस विवाद में किसी को पड़ना नहीं चाहिए, भारत ऐसा देश है जो सांपों की भी दूध पिलाकर पूजा करता है, भारत हमेशा बसुधैव कुटुम्बकम की भावना रखता रहा है, देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी, अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो उसके साथ मै खड़ा हूं। देश को अगर कोई तोड़ने के लिए पाकिस्तान का नारा लगाता है, राष्ट्र विरोधी काम करता है तो उसे कभी माफ नहीं करेंगे, यह कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का।
शुक्रवार को अखिल भारतीय गुर्जर शोध संस्थान ग्रेटर नोएडा में गुर्जर समुदाय भाजपा के गद्दावर नेता स्व. हुकुम सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसमें केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए, इस दौरान अशोक कटारिया परिवहन मंत्री उत्तर प्रदेश, डॉ. महेश शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद, राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर, तेजपाल नागर, विधायक दादरी, धीरेन्द्र सिंह, विधायक जेवर, पंकज सिंह विधायक नोएडा, नरेन्द्र भाटी, अशोक प्रधान पूर्व सांसद, मृगंगा सिंह बेटी हुकुम सिंह सहित गुर्जर शोध संस्थान के पदाधिकारी मौजूद रहे। मूर्ति अनावरण के बाद राजनाथ सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति अन्य देशों से भिन्न कैसे बनाती है उसके लिए शोध करने की जरुरत है। स्व. हुकुम सिंह को अपना बड़ा भाई बताते हुए कहा कि प्रदेश में मुख्य मंत्री रहते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया जिसमें उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि गुर्जर शोध संस्थान के स्थापना के पीछे उनका उद्देश्य किसी एक जाति के लिए नहीं था, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत संजोना है। वो कभी नहीं चाहते थे कि एक समाज के बारे में ही शोध किया जाय। देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वालों की जाति व मजहब से पहचान नहीं होनी चाहिए। उन्होंने वर्तमान राजनीति पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि राजनीति का अर्थ है राजव्यवस्था जो सन्मार्ग की तरफ ले जाता है वह राजनीति है। आज राजनीति अपना अर्थ खो चुका है। विदेशों में आज भारत के प्रति नजरिया बदल चुका है, लोग एक मजबूत राष्ट्र के रुप में देख रहे हैं। उन्होंने दुनिया के मुस्लिम राष्ट्रों का जिक्र करते हुए कहा कि इस्लाम में 72 फिरके होती है दुनिया के किसी भी देश में नहीं सिर्फ भारत में है। पारसी और यहूदी धर्म के लोगों ने अपने ग्रन्थों में लिखा है कि अगर कहीं सम्मान मिलता है तो सिर्फ भारत में मिला है।