बहस के दौरान अधिक न्यायिक विवेक का ध्यान रखना जरूरी -दीपक मिश्रा

ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एनआईयू) के विधि संकाय में गुरुवार को मूट कोर्ट प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए सुप्रिम कोर्ट पूर्व मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि वकालत के पेशे में तर्ककला, कौशल और विज्ञान की तरह हैं। रिसर्च और गहन विश्लेषण करने का बाद ही आपको सार निकालना होता है। उन्होंने आगे बताया कि बहस के दौरान भावना में बहने से कहीं अधिक न्यायिक विवेक का ध्यान रखना जरूरी है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने आगे बताया कि कोई भी अधिवक्ता या कानून का विद्यार्थी तबतक आदर्श शोधार्थी नहीं हो, जब तक उसके अन्दर ज्ञान अर्जन करने की भावना न हो। साथ ही, उन्होंने व्यवहारिक पक्ष की जानकारी देते हुए कहा कि पुस्तकों से आपको सारांश निकालना होता है। यही सार आपको डिबेट के दौरान मदद करेगा। विवि के प्रो. चांसलर डॉ. विक्रम सिंह ने व्यवहारिक ज्ञान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। विधि संकाय में मूटकोर्ट का आयोजन किया गया। ज्ञातव्य हो कि विधि संकाय के छात्र-छात्राओं को उनके व्यवहारिक कानूनी क्षमता को बढ़ाने आभासी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होकर अपने प्रकरण का पक्ष प्रस्तुत करना होता है। इसमें छात्रों ने अपने-अपने मुकदमें की पैरवी की। आयोजन में कुलपति डॉ. आर.डी. शर्मा व कुलसचिव डा. जयानंद की गौरवमयी उपस्थित रही। विवि के विधि संकाय के निदेशक डॉ. प्रांतप कुमार दास ने सभी प्रतिभागियों का आयोजन में शिरकत करने के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सभी सभी स्कूलों के निदेशक व विभागाध्क्ष मौजूद थे।

 

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