ग्रेटर नोएडा। कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए जन सामान्य के बीच जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे फैलने से रोकने का प्राथमिक स्तर पर यही सबसे महत्वपूर्ण कदम है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ. विश्वास त्रिपाठी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में कोरोनावायरस पर जागरूकता बढ़ाने के लिए नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त हुआ है। डॉ. विश्वास इस प्रोजेक्ट के मुख्य इन्वेस्टिगेटर होंगे तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 रेड जोन जिलों में यह अभियान चलाया जाएगा। इसमें आगरा, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद एवं मेरठ जिले शामिल होंगे। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को जिसमें शिक्षाविद, सोशल वर्कर्स, हेल्थ विजिटर्स, विद्यार्थी, व्यापारी वर्ग एवं जन सामान्य को कोरोनावायरस से जुड़े प्रमाणिक सूचनाओं के माध्यम से जागरूकता फैलाने का है। यह हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम, लेक्चर, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, वेबीनार, कम्युनिटी मीटिंग इत्यादि के माध्यम से संपादित किया जाएगा। कोरोना के कारण मानसिक तनाव में रहने वाले लोगों को भी इस प्रोजेक्ट में काउंसलिंग की जाएगी एवं उन्हें मानसिक अवसाद से बाहर लाने का प्रयास किया जाएगा। कोरोना से जुड़ी सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक सूचनाएं एवं सूचना के अभाव के कारण जो लोग मानसिक अवसाद में हैं उन्हें प्रमाणिक सूचना उपलब्ध कराई जाएगी। आवश्यकतानुसार मनोविज्ञानियों का भी सहयोग लिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की कार्य योजना तैयार कर ली गई है एवं बहुत जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को अगले 6 महीने में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि डॉ. विश्वास त्रिपाठी एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं तथा पूर्व में एचआईवी वायरस पर एम्स में शोध कार्य कर चुके हैं। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान डॉ विश्वास द्वारा कोरोनावायरस पर दिए गए इंटरव्यू विभिन्न समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चैनल में चर्चा के विषय रहे। हाल ही में डॉ. विश्वास की लैब ने कंप्यूटर ऐडेड ड्रग डिजाइनिंग के माध्यम से उन नेचुरल कंपाउंड्स का पता लगाया है जो कोरोनावायरस के मेन प्रोटिएस को निष्क्रिय करने में सहायक हो सकते हैं।
कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के दृष्टिगत कोरोना महामारी से संबंधित प्रमाणिक तथ्य एवं जागरूकता अभियान आम आदमी तक पहुंचाया जाना इस बीमारी से लड़ने में एक अत्यंत सार्थक कदम होगा। डॉ. त्रिपाठी ने इन कार्यो में सहयोग देने के लिए अपने शोध छात्र अमरेश मिश्रा और यामीनी पाठक को धन्यवाद दिया।