महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल में गीता जयंती के अवसर पर गीता महोत्सव का आयोजन

Gita Mahotsav organized on the occasion of Gita Jayanti at Maharishi Panini Ved-Vedang Vidyapeeth Gurukul

ग्रेटर नोएडा,04 दिसम्बर। सेक्टर ईटा एक स्थित महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल में गीता जयंती के अवसर पर गीता महोत्सव और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन में गुरुकुल के बटुकों ने भगवान का पूजन तथा गीता एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया। उसके उपरांत महर्षि पाणिनि धर्मार्थ ट्रस्ट (रजि.) द्वारा आधुनिक युग में गीता की उपादेयता विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्यातिथि के रुप में नरेश गुप्ता ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता को साक्षात कृष्ण का स्वरूप माना जाता है और इनमें दिए गए ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन में अधर्म रूपी अंधकार को दूर कर सकता है।  गुरुकुल की जीवन शैली का उद्धरण देते हुए जीवन के तत्वों को गीता से सीखने के बारे में कहा कि गीता ही केवल विश्व में ऐसा ज्ञान का भंडार है जिससे जिसके एक श्लोक को भी अपनाने से जीवन का सार और उद्देश्य समझ में आ जाता है।

Gita Mahotsav organized on the occasion of Gita Jayanti at Maharishi Panini Ved-Vedang Vidyapeeth Gurukul

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राकेश भूषण शर्मा ने गीता सार बताते हुए कहा कि कर्म के लिए विश्व भर में सबसे अधिक किसी धार्मिक ग्रंथ में उपदेश दिया गया है तो वह गीता ही है। उन्होंने गीता के प्रत्येक अध्याय के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक करते हुए अंतिम कर्मयोग अध्याय के बारे में बताया। गुरुकुल के अधिष्ठात्रा परमपूज्य आनंद ब्रह्मचारी महाराज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गीता जयंती को सनातन धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार गीता एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ है जिसे स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सुनाया था। गीता जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष के मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में गीता के महत्व के बारे में कहा कि आज तकनीकी दिशा में बढ़ते कदम हमारी परंपराओं से विमुख हो रहे हैं, ऐसे में गीता ही है जो हमें हमारे सार्थक उचित ज्ञान कराने में हमारा योगदान देती है। ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं गुरुकुल के संस्थापक आचार्य रविकांत दीक्षित ने कहा कि यह पृथ्वी हमेशा ही योगियों के द्वारा संरक्षित रही है। उनमें से हमारे कृष्ण के रूप में परम योगी ने उपदेशात्मक वाक्य जो अर्जुन को कहे वही गीता है।

Gita Mahotsav organized on the occasion of Gita Jayanti at Maharishi Panini Ved-Vedang Vidyapeeth Gurukul

गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों को पढ़ा जाता है और जीवन में उन्हें पालन करने का प्रण लिया जाता है। गुरुकुल एक ऐसी संस्था है जिसके द्वारा हम अपने धार्मिक ग्रंथों को संरक्षित एवं पल्लवित कर सकते हैं। आधुनिक प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में गीता को भी एक विषय के रूप में मान्यता मिले इसके लिए हम सब को प्रयासरत होना चाहिए। सभी से आग्रह करते हुए कहा हम सब प्रतिदिन यदि गीता पाठ ना कर सके तो गीता के कुछ लोगों को अवश्य पढ़ें। गीता को जनसाधारण मनुष्य की पहुंच तक चला बनाने के लिए गुरुकुल एक उचित माध्यम में इस पर कहा कि हमें अपने जीवन में गीता के किसी एक पंक्ति को भी अपनाना भी जीवन सुगम बनानेका साधारण मार्ग है। संगोष्ठी में वी.पी. नवानी, वेदप्रकाश शर्मा आदि वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन अलंकार शर्मा ने किया। अंत में गुरुकुल के संस्थापक आचार्य  रविकांत दीक्षित ने गुरुकुल के दीक्षित ने कहा गुरुकुल को आगे बढ़ाने के लिए आप सभी के सहयोग की अपेक्षा है, गुरुकुल के लिए जमीन तो ले ली गयी है, रिजस्ट्री के बाद भवन निर्माण का काम शुरु होगा।

भंडारा प्रसाद के उपरांत कार्यक्रम संपन्न किया हुआ। इस अवसर पर गुरुकुल परिवार के सदस्य एवं शहर के अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे।

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