आईओटी आधारित बैडमिंटन रैकेट स्पोर्ट्स एनालिटिक्स में मील का पत्थर होगा साबित

आईओटी आधारित बैडमिंटन रैकेट स्पोर्ट्स एनालिटिक्स में मील का पत्थर होगा साबित

-बारहवीं के छात्र पार्थ बत्रा ने विकसित किया एनालिटिक्स बैटमिन्टन
ग्रेटर नोएडा। स्पोर्ट्स एनालिटिक्स के क्षेत्र में एक बैडमिंटन रैकेट में तकनीक के अभिनव प्रयोग का अनूठा उदाहरण सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल, मेरठ के 12वीं कक्षा के विज्ञान विषय के छात्र पार्थ बत्रा ने प्रस्तुत किया है। पार्थ एक बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा उन्होंने थाईलैंड से बैडमिंटन का विश्वस्तरीय प्रशिक्षण हासिल किया है। अपने प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने यह अनुभव किया कि बैडमिंटन कोच के द्वारा प्रत्येक खिलाड़ी के फीडबैक को तकनीक के प्रयोग से बेहतर बनाया जा सकता है। इसके पीछे अवधारणा यह थी कि कोच हर समय हर एक खिलाड़ी के खेल को नहीं देख सकते हैं और यदि ऐसा संभव भी हो पाये तो बाद में इन सभी को विडियो के माध्यम से देखा तो जा सकता है पर किसी भी प्रकार का आंकड़ा हासिल कर पाना संभव नहीं हो पता है। लेकिन यदि किसी प्रकार से खिलाड़ियों के खेल जैसे कि उनके शॉट्स के मूवमेंट के आंकड़ों को यदि किसी प्रकार से बाद में देखा जा सके तो संभव हो सकता है कि फीडबैक को और अधिक उन्नत किया जा सके और खेल में सुधार लाया जा सके। अपनी इसी उत्सुकता को उन्होंने एक साधारण से बैडमिंटन रैकेट को इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के अनुप्रयोग के द्वारा एक नए रूप में सफल रूप से प्रस्तुत किया है।

IoT based badminton racket will prove to be a milestone in sports analytics
पार्थ बत्रा, छात्र

विदित हो कि पार्थ के द्वारा विकसित किया गया यह रैकेट अपने आप में पहला ऐसा रैकेट है जो खिलाड़ियों के खेल को बेहतर बनाने में सहायक होगा। इस रैकेट के माध्यम से बैडमिंटन खिलाड़ी के द्वारा मारे गए शॉट्स की मूवमेंट के आंकड़ों को कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखा जा सकता और डेटा साइंस की मदद से विश्लेषण भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में विशेष बात यह है कि विश्लेषण के माध्यम से यह तय किया जा सकता है कि किस प्रकार के मूवमेंट से खिलाड़ी को अपने खेल को सुधारने में मदद मिलेगी। इस प्रकार की अनेकों जटिल तकनीकों का प्रयोग आज स्पोर्ट्स एनालिटिक्स विषय के अंतर्गत खेल तथा खिलाड़ियों की गुणवत्ता एवं कुशलता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। पार्थ के द्वारा विकसित किए गए इस बैडमिंटन रैकेट में आंकड़ों को कम्प्यूटर में भेजने के लिए आरड्यूनों नैनो प्रोग्रामिंग बोर्ड के साथ एक्सीलेरोमीटर तथा जाइरोस्कोप सेंसर्स का प्रयोग किया गया है।

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