ग्रेटर नोएडा,5 मई। वर्तमान वैश्विक संकट में ऑनलाइन शिक्षा एक बहुत बड़ा सकारात्मक विकल्प है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली कई संचार मोड का उपयोग करके, शिक्षकों और छात्रों दोनों को विचारों और जानकारी का आदान-प्रदान करने, परियोजनाओं पर, घड़ी के आसपास, दुनियाभर में कहीं-भी काम करने की अनुमति देती है। शिक्षाविद रिपुदमन गौर ने बताया कि ई-लर्निंग के दौर में अधिकतर छात्र अपने या अपने अभिवावको के मोबाइल फ़ोन से क्लासेज को अटेंड कर रहे है जिसके दूरगामी परिणाम काफी नकारात्मक हो सकते है। अभिवावकों को अपने बच्चों के मानसिक व शारीरिक व्यव्हार का अवलोकन करते रहना चाहिए। 4-5 घंटे प्रतिदिन बच्चे मोबाइल फ़ोन से पढ़ाई कर रहे है यहाँ अभिवावको को यह ध्यान देने की जरुरत है कि उनका बच्चा कितनी दूरी से मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर रहा है व संभव हो तो बच्चों को कंप्यूटर, लैपटॉप या बड़ी स्क्रीन वाले फ़ोन को उपयोग करने के लिए प्रेरित करे। आँखों के डॉक्टर कि भी सलाह ली जासकती है। बच्चों के ऑनलाइन अधिक रहने से उनके मानसिक व्यव्हार पर नजर रखना बहुत आवश्यक है। तकनिकी युग में फोमो (फियर ऑफ़ मिसिंग आउट) एंड फोबा (फियर ऑफ़ बीइंग अलोन) जैसी समस्याएं आज के युवा को बहुत जल्दी घेर रही है।