ग्रेटर नोएडा,1 अगस्त। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के मीडिया विभाग द्वारा शिक्षा नीति पर देश का पहला व्यख्यान आयोजित किया गया, जिसका विषय था ” नयी शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया की प्रासंगिकता”। भारत में आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद शिक्षा के के क्षेत्र में बहुत कम बदलाव आये है, मगर भारत में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिये हमेशा से ही जोर दिया गया है। शिक्षा किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी और अस्थिमज्जा की तरह होती है। अगर किसी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या हो जाये,तो उस इंसान का चलना मुश्किल हो जाता हैं ठीक उसी प्रकार अगर किसी देश की शिक्षा व्यवस्था लचर होगी, तो उस देश का युवा भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पायेगा। इसलिए देश की शिक्षा व्यवस्था में समय अनुसार बदलाव होते रहने चाहिये। नयी शिक्षा नीति पर अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर गिरिजा शंकर शर्मा, डीन मीडिया अध्ययन विभाग, मेवाड विश्विद्यालय, चित्तौड़गढ़ ने गौतमबुद्ध विश्विद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा मीडिया विषय पर चलायी जा रही लेक्चर श्रृंख्ला में आज “नयी शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया की प्रसांगिकता” विषय पर ऐसा कहा। प्रोफेसर गिरिजा शंकर शर्मा ने आज़ादी के समय की शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि उस समय में गांधी जी ने कल्पना की थी कि प्रारम्भिक शिक्षा बच्चों को मातृभाषा में दी जाये,क्योंकि मातृभाषा में जो विचार सोचते है तो वह मौलिक होते और मौलिक विचार सबसे अधिक प्रभावशाली सिद्ध होते है। इसलिए हमे अपने धर्मं ग्रंथो अनुवादिक भाषा में न पढ़ कर अपनी मातृभाषा में पढ़ने चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि 2020 की अवधारणा क्रिकेट से आयी, अब 2020 अब एक मील का पत्थर बनने जा रहा है, क्योंकि ये नयी शिक्षा नीति के उदघोष के लिए, कोरोना के लिए और मीडियाकर्मियो के लिए भी ये बिल्कुल नयी स्थिति है। कोरोना काल में ऐसे भी पत्रकार है,जिन्होंने अपने कर्तव्य के मार्ग पर कार्य करते करते अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए। प्रोफेसर वंदना पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, मीडिया विभाग ने कार्यक्रम का बीजवक्तव्य दिया और प्रोफेसर गिरिजा शंकर शर्मा का स्वागत क़िया। प्रोफेसर बन्दना पाण्डेय ने अपने बीजवक्तव्य में सरकार द्वारा दी नयी शिक्षा प्रणाली को छात्रों के लिए अहम बताया और साथ ही साथ कुछ उदहारणो की सहायता से इसके महत्व पर भी प्रकाश डाला। नयी शिक्षा प्रणाली से देश में उन क्षेत्रीय भाषायो को भी बल मिलेगा जो लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है। कार्येक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।
-A unique initiative is being taken to bring the sweetness and taste of India to…
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