जीबीयू में  ऑनलाइन टीचिंग पेडागोजी पर फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा हुए शामिल

जीबीयू में  ऑनलाइन टीचिंग पेडागोजी पर फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा हुए शामिल

ग्रेटर नोएडा,20 जुलाई। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 20 जुलाई से 2 अगस्त, 2020 तक ‘ऑनलाइन टीचिंग पेडागोजी’ पर दो सप्ताह का संकाय विकास कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन सत्र में  उपमुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश सरकार) डॉ. दिनेश शर्मा मुख्य अतिथि  शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन कुलपति (जीबीयू) प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा के मार्गदर्शन में किया गया। कुलपति ने इस संकाय विकास कार्यक्रम के विचार की कल्पना की थी तथा इस विचार को पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. विनोद कुमार शनवाल (विभागाध्यक्ष, शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग, जीबीयू) द्वारा विकसित किया गया। इस कार्यक्रम की अवधारणा के पीछे अन्य प्रमुख सदस्य जिन्होंने अहम भूमिका निभायी वो थे : प्रो. श्वेता आनंद (डीन एकेडमिक्स), प्रो. संजय के. शर्मा (डीन, यूएसआईसीटी) व डॉ. नीति राणा (डीन, यूएसएचएसएस), इस कार्यक्रम के संयोजक: डॉ. प्रदीप तोमर (विभागाध्यक्ष, डीसीएसई, यूएसआईसीटी), डॉ. सतीश के मित्तल (यूएसओएम) व डॉ. विक्रांत नैन (यूएसबीटी) तथा इस कार्यक्रम की आयोजक टीम श्रीमती त्रिशला भास्कर, सुश्री प्रगति मेहंदीरत्ता, सुश्री आंचल नागर व श्री आयुष अग्रवाल हैं। “फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम” को विशेष रूप से शिक्षकों, शोधकर्ताओं और प्रशिक्षकों की ऑनलाइन शिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस एफडीपी के मुख्य उद्देश्य हैं: ऑनलाइन शिक्षण के लिए शिक्षकों की दक्षताओं का निर्माण, प्रभावी आभासी शिक्षण के लिए आवश्यक कौशल एवं प्रथाओं को विकसित करना। कुलपति प्रो भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि इस विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 द्वारा पारित चुनौती का सामना करने, शिक्षण सीखने की गतिविधियों में सुधार करने के लिए व इस स्थिति से निपटने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना समय की मांग है। इसलिए हमें अपने शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण कौशल और शिक्षा से लैस करना चाहिए साथ ही साथ कौशल प्राप्त करने और ऑनलाइन शिक्षण में खुद को फिर से उभारने का एक शानदार अवसर है। साथ ही उन्होंने इस बात को भी बताया की जीबीयू देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने जून माह के पहले पखवाड़े में ही अंतिम सत्र के छात्रों का परीक्षा सफलतापूर्वक करवा ली और नए शैक्षणिक सत्र के लिए नामांकन हेतु ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का प्रथम चरण भी पूरा हो चुका है और अड्मिशन हेतु काउन्सलिंग की प्रक्रिया सुचारु रूप से चल रही है।

जीबीयू में  ऑनलाइन टीचिंग पेडागोजी पर  फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा हुए शामिल

 कुलपति  प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने  उपमुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश सरकार) डॉ. दिनेश शर्मा का हार्दिक स्वागत किया। कुलपति ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की तत्कालीन उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि जीबीयू भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जिसने अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को ऑनलाइन संपन्न करवाया है तथा विश्वविद्यालय ने अपनी तरह की पहली दूरस्थ प्रोक्टेड प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करवाई है। साथ ही कुलपति महोदय ने यह भी बताया कि जीबीयू आईआईटी हैदराबाद के बाद भारत का दूसरा संस्थान बन गया है। जहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कार्य हो रहा है।

उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा  ने कार्यक्रम का उद्घाटन अपने वक्तव्य के साथ किया। उन्होंने जीबीयू में ऑनलाइन टीचिंग के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए बधाई दी तथा भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न ऑनलाइन टीचिंग मंचों: दीक्षा, स्वयंप्रभा, इग्नू एवं दूरदर्शन जैसे अन्य माध्यमों के प्रयासों का भी उल्लेख किया साथ ही भारत सरकार की ऑनलाइन टीचिंग की महत्वकांक्षी योजनाओं का भी उल्लेख किया। अंत में उप मुख्यमंत्री महोदय ने शिक्षकों को कोरोना योद्धा की संज्ञा दी एवं कार्यक्रम सभी सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। पाठ्यक्रम के निदेशक डॉ. विनोद शनवाल ने अपने भाषण में कहा कि सीखना कभी भी बंद नहीं होता है और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें तदनुसार बदलना होगा। यह एफडीपी निश्चित रूप से हमारे शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण कौशल और शिक्षा से लैस करेगा। यह शिक्षकों के भाग लेने से कौशल, उत्थान और ऑनलाइन शिक्षण में खुद को फिर से उभारने का एक शानदार अवसर है जिससे कि वे छात्रों की समस्याओं का समाधान व विषय वस्तु को और भी रुचिकर बना सकेंगे।
प्रो. श्वेता आनंद (डीन एकेडमिक्स) ने भी हाल के दिनों में इस तरह के कार्यक्रमों की प्रासंगिकता बताई। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सतीश के. मित्तल ने मुख्य अतिथि, कुलपति व कार्यक्रम से जुड़े अन्य सभी सम्मानित सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सुश्री अयुशीकेतकर कार्यक्रम की समन्वयक थीं। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लेने की पुष्टि की है।

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