मंगलमय संस्थान में इंजीनियरिंग, प्रबंधन व विज्ञान में उन्नति और विकास पर राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस

मंगलमय संस्थान में इंजीनियरिंग, प्रबंधन व विज्ञान में उन्नति और विकास पर राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस

ग्रेटर नोएडा,22 जून। कोविड-19 महामारी ने हर देश को अनुसंधान और विकास के महत्व का एहसास कराया है। हालांकि जब जमीनी स्तर पर देखते हैं तो सिर्फ कुछ संस्थान ही खड़े होते दिखाई देते हैं। मंगलमय इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग ने एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस “इंजीनियरिंग, प्रबंधन व विज्ञान में उन्नति और विकास पर राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस” का आयोजन किया। सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर पर अपने शोध प्रस्तुत करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों को एक साथ एक मंच प्रदान किया। आयोजन समिति ने स्वच्छता और सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करते हुए संस्थान में माइक्रोसॉफ्ट टीम प्लेटफार्म की मदद से इस ऑनलाइन कांफ्रेंस को आयोजित किया। कार्यक्रम में मुख्या अतिथि संस्थान के चेयरमैन अतुल मंगल, वाईस चेयरमैन अनुज मंगल सीओओ आयुष मंगल थे। जिन्होंने सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया।

मंगलमय संस्थान में इंजीनियरिंग, प्रबंधन व विज्ञान में उन्नति और विकास पर राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस

इस सम्मेलन में मुख्य वक्ताओं में डॉ. प्रीति सेठी डॉ. राजीव साहा, जेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी,फरीदाबाद, विकास कालरा, निदेशक सीईटीपीए इन्फोटेक, प्रा. लिमिटेड तथाडॉ. सुमित सांगवान, गणग इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, दिल्ली, शामिल हुए। विकास कालरा ने अपने संबोधन के दौरान अनुसंधान के आधुनिक क्षेत्रों- डेटा साइंस एण्ड डेटा एनालिटिक्स और आज की महामारी में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. राजीव साहा ने प्रतिभागियों को साहित्यिक चोरी के बारे में शिक्षित किया और साहित्यिक चोरी को रोकने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे हैं इस पर विसतार से चर्चा की। साथ ही साथ उन्होंने विभिन्न प्लेटफार्मों पर भी चर्चा की जहां छात्र और युवा शोधकर्ता अपने काम में साहित्यिक चोरी की जांच कर सकते हैं। संकाय के डीन, प्रो.(डॉ.) यशपाल सिंह ने अवगत कराया की कि सम्मेलन के लिए 145 से अधिक शोधपत्र प्राप्त हुए, जिनमें से तकनिकी विश्लेषण के बाद करीब 80 उच्च कोटि के शोध पत्रों को समीक्षा के बाद साइंटिफिक जर्नल्स में प्रकाशन के लिए भेज दिया जा चुका है। सम्मेलन के आखिर में संकाय के डीन प्रो. हरीश भाटिया ने वोट ऑफ़ थैंक्स के दौरान वक्ताओं को उनके बहुमूल्य समय और अंतर्दृष्टि के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया।

 

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *