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हमारे अस्तित्व के लिए उपग्रह अवलोकन आवश्यक- प्रो. रमेश सिंह

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जीबीयू में बनेगा वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और कम्प्यूटेशनल गणित का शोध केंद्र

ग्रेटर नोएडा,21 जून। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में अनुप्रयुक्त गणित विभाग द्वारा वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और कम्प्यूटेशनल गणित के अनुप्रयोग पर साप्ताहिक वेबिनार सीरीज का आज समापन हुआ। इस सीरीज का  आयोजन गणित विभाग एवं भारतीय मौसम विज्ञान सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान  में 5 जून से 20 जून की अवधि में  किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा कुलपति गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने किया। डॉ. शर्मा ने अपने संबोधन बताया कि डाटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग आदि ऐसी विधाएं हैं जिनमें वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध अपेक्षित है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय विभिन्न उत्कृष्ट संस्थाओं के साथ मिलकर इन विषयों पर नवाचार के लिए प्रयासरत है। उदघाटन सत्र में पूर्व महान मौसम वैज्ञानिक डॉ. अजित त्यागी ने मौसम विज्ञान में हो रहे नवीन परिवर्तनों के वारे में जानकारी देते हुए छात्रों में शोध के प्रति नवीन ऊर्जा का संचार किया। कार्यक्रम के समन्वयक अमित कुमार अवस्थी ने बताया कि वर्कशाप में लगभग 500 प्रतिभागी शामिल हुए हैं यह अपने आप में एक अद्भुत संगम है जो कि सामान्य रूप से इतने प्रतिभागियों के साथ वेबीनार वर्कशॉप करना संभव नहीं हो पता। कार्यक्रम समन्वयक (मौसम विज्ञान संस्था) डॉ. आशीष राउत्रे ने भारतीय मौसम विज्ञान संस्था के कामों से अवगत कराया। इस श्रंखला में विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों द्वारा शोध प्रस्तुत किए गए। सेमिनार के द्वितीय दिन केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान से आमंत्रित प्रोफेसर डॉक्टर सोमेश्वर दास ने गंभीर मौसम की भविष्यवाणी में चुनौतियाँ पर प्रकाश डाला। मौसम वैज्ञानिक अभिजीत सरकार ने गंभीर मौसम की भविष्यवाणी में प्रयोग होने वाले भविष्यवाणी प्रणाली के विषय में जानकारी दी।

अन्य मौसम वैज्ञानिक आशीष रौतरे ने  डेटा एसिमिलेशन का मौसम घटनाओं के अनुमान पर जो प्रभाव होता है उस पर अपना व्याख्यान दिया।सेमिनार के तृतीय व्याख्यानमाला में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे से वरिष्ठ  वैज्ञानिक डॉ ए.के. सहाय ने बदलती जलवायु में जलवायु सेवाएं प्रदान करने में गणितीय जटिलताएँ सबके समक्ष रखी।

उन्होंने इस अवसर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से गणितीय जटिलताओं को आसान बनाया जा सकता है और इनके प्रयोग से भविष्य की जलवायु सेवाएं आसान बनाई जा सकती है। इसकी नवीन व्यवसाय में बड़ी संभावना है| जलवायु, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और संबद्ध मौसम संबंधी विशेषताओं को बदलने के विषय पर एक गहन अध्ययन पर डॉ जगबंधु पांडा  ने प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के अंतिम दिन Chapman यूनिवर्सिटी अमेरिका से  विशिष्ट वक्ता  प्रोफेसर रमेश चंद्र सिंह ने बताया आज के वातावरण में रिमोट सेंसिंग एक अहम आवश्यकता है आमफन का तूफान हो या कोविड-19 का कहर सेटेलाइट ऑब्जरवेशन के द्वारा इन चीजों पर निगरानी रखी जा सकती है और भविष्य में होने वाली बहुत सारी जनहानि बचाई जा सकती है इसमें सहयोग किया जा सकता है। जीपीएस सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा एक दूर बैठा व्यक्ति भी किसी भी क्षेत्र में निगरानी रख सकता है। छात्रों को जीपीएस तकनीक के क्षेत्र में बहुत सारी संभावनाएं हैं और उन्हें ऐसे कोर्सेज का अध्ययन करना अच्छा रहेगा। तत्पश्चात डॉ. प्रशांत कुमार श्रीवास्तव जो कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से थे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का रडार प्रेसिपिटेशन मॉडलिंग के प्रयोग और उसकी तकनीक को छात्रों के सम्मुख रखी। सत्र को आगे बढ़ाते हुए डॉ मनीष मदानी ने अपने वृहत ओद्योगिक अनुभव को प्रतिभागियों से साझा किया। सुबह के सत्र भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. वी. के. सोनी द्वारा ओज़ोन छिद्र  में हो रहे परिवर्तन पर उनके वैज्ञानिक तथ्य पर प्रकाश डाला।  सत्र को आगे बढ़ाते हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय  की डॉ सुनीता वर्मा ने एयरोसोल वितरण और उत्तर पश्चिमी भारत पर इसका प्रभाव अध्ययन सामने रखा और उस पर अपना शोध और संभावनाएं छात्रों के सम्मुख रखे। एक आयामी लहर समीकरण में संगतिऔर स्थिरता विषय पर डॉ सुशील कुमार ने व्याख्यान दिया| सत्र डॉ अमित कुमार अवस्थी ने वायुमंडलीय मॉडल के लिए बुनियादी वैज्ञानिक कंप्यूटिंग पर अपना पक्ष रखा।

सायकालीन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर एन.पी.  मेलकानिआ ने वायुमंडलीय विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के समग्र अध्ययन पर जोर दिया और बताया चाहे केरल में हाथी मारने की अमानुषिक घटना हो या लाइफ़स्टाइल बदलने कीसनक में खाने के वस्तओं की बात हो इनमें जैव विविधता का अभाव है हमें इस तरफ ध्यान देना चाहिए हमारी पुरातन चीजें हमारी लोकल व्यवस्था महत्व देती थी और वह आवश्यक है।

इस सत्र में डॉक्टर आशा पांडे, डॉ शिवकुमार, डॉक्टर सरिता, डॉ मंजू शर्मा, अंकिता बनर्जी आदि अन्य वक्ताओं ने भी पर्यावरण के वायुमंडल की प्रक्रियाओं पर होने वाले प्रभाव पर अपना अध्ययन सामने रखा। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ सुशील कुमार ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर पुष्पेंद्र जौहरी, गौरव तिवारी, प्रमिता  चक्रवर्ती, सुधांशु शेखर, इमरान अली, पी. पी. शहीद, आदित्य शर्मा आदि अन्य शोधार्थियों ने अपने शोध को रखा।

सत्र ‘वर्तमान परिपेक्ष में पर्यावरण संबंधित समस्याएं भाग-1’ का संचालन प्रोफेसर पीवीएस राजू तथा उनके साथ डॉ नीना सिंह द्वारा किया गया  तथा वर्तमान परिपेक्ष में पर्यावरण संबंधित समस्याएं भाग-2 सत्र का संयोजन डॉ अमित अवस्थी एवं डॉ जया मैत्रा  द्वारा किया गया तथा पर्यावरण और मौसम में उपग्रह डेटा का उपयोग सत्र का संचालन डॉक्टर सुशील कुमार डॉक्टर भानुमति पांडा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का  संचालन  आशीष राउत्रे,  सुशील कुमार, अमित कुमार अवस्थी ने किया।

अंत में पैनल चर्चा और समापन सत्र आयोजित किया गया। जिसमें सभी पैनलिस्ट डॉ अजीत त्यागी, डॉ. ए. के. मिश्रा, प्रोफेसर एन. पी. मकानिया प्रोफेसर सोमेश्वर दास, प्रोफेसर राजीव बाटला और डॉ. वी के सोनी ने अपने विचारों को रखा और सभी ने आयोजको के काम की सराहना की| अतःविषय दृष्टिकोण के साथ अधिक सहयोग विभिन्न प्रकार की संयुक्त गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सलाह दी। सभी  पैनलिस्टो ने गौतम बुध विद्यालय के कुलपति,  संकाय सदस्यों और प्रशासन से संबंधित लोगों को धन्यवाद दिया।

 

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