भारत के ‘स्व’ बोध का विस्तार है अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण, भारत शोध नहीं बोध का है विषय 

Construction of Shri Ram temple in Ayodhya is an expansion of India's self-consciousness, India is not a matter of research, it is a matter of perception.

ग्रेटर नोएडा। भारत के ‘स्व’ बोध का विस्तार है अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण। इसलिए भारत शोध नहीं बोध का विषय है। यह बोध श्रीराम से जुड़ा है। यह विचार प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, नोएडा/ मेरठ प्रांत प्रचार विभाग एवं जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय प्रेरणा मीडिया विमर्श-2023 के दूसरे दिन आयोजित मीडिया लेखन में विमर्श निर्माण विषयक सत्र में अंग्रेजी साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वधर्म, स्वदेश, स्वभाषा और स्वराज का पुनः प्राप्त करना स्व का आधार या प्रेरणा रही है। श्री राम ही स्वाधीनता की भारतीय स्व प्रेरणा के केन्द्र रहे, जिसका आश्रय महात्मा गांधी ने भी राष्ट्रीय आंदोलन में लिया। इसलिए अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण स्व के आधार पर आत्मबोध एवं आत्मविश्वास के भाव का प्रकटीकरण है। दूसरे वक्ता के रूप में प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि अंग्रेजों ने सांस्कृतिक विश्वास को तोड़कर ही अपने लक्ष्य पूरे किए हैं। इसका आधार भारत का अपना स्व रहा। सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार देवांशु झा ने कहा कि संपूर्ण विश्व की सभ्यता पर नजर डालें तो स्त्रियों की आजादी जैसी भारतीय संस्कृति में हैं, वैसी कहीं नहीं मिली। दूसरे सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि जब वर्षों से हमारी मानसिकता एक निश्चित पॉइंट पर हो तो अपने एजेंडा में वही स्थापित करती है। हिंदुस्तान डिजिटल मीडिया प्रमुख प्रभात झा ने कहा कि आज न्यूज़ रूम और समाज में लोकतंत्र मजबूत हुआ है। आज के दौर में डिजिटल मीडिया का बेनिफिट यह है कि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाकर एक विमर्श को मजबूती प्रदान करता है। वहीं कार्यक्रम में प्रसिद्ध यू-ट्यूबर अजीत भारती ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करायी। कार्यक्रम के तीसरे सत्र की वक्ता जानी मानी टीवी पत्रकार रूबिका लियाकत ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मैं निष्पक्ष नहीं हूं, भारत मेरा पक्ष है। हमारा देश स्वर्ग है क्योंकि यहां चार ऋतुएं हैं, पहाड़ है, रेगिस्तान है, विविधता है, इसलिए हमने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया। वहीं वरिष्ट पत्रकार विपिन्द्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कार्यप्रणाली की चर्चा की।

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सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के भाजपा सोशल मीडिया संयोजक शशि कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया आज के समय में सूचना, विमर्श और सेवा का माध्यम है। सोशल मीडिया और पत्रकारिता में बढ़ते एआई के प्रभाव से हमें तकनीकी रूप से रोजगार के नए अवसर मिले हैं। सोशल मीडिया आयाम के दूसरे सत्र के दौरान सोशल मीडिया का सामाजिक जीवन पर प्रभाव विषय पर संबोधित करते हुए सत्र के टेमसुतुला इमसांग ने कहा कि यह युग डिजिटल युग है। जिसका लाभ भी है लेकिन उसके कुछ नुकसान भी हैं, यह सोशल मीडिया के सन्दर्भ में भी लागू होता है, इसके लिए हमें स्व की रक्षा के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसी क्रम में सत्र में अध्यक्ष पराग मधुकर धकाते ने सोशल मीडिया से जुड़े तमाम आयामों पर बात की  और टारगेट ऑडियंस, इनफ्लुएंसर, फेक न्यूज़ इत्यादि विषयों पर युवाओं को जागृत किया और भारतीय संस्कृति की विश्व में बढ़ती लोकप्रियता पर भी अपनी बात रखी। सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर संबोधित करते हुए जिया मंजरी ने कहा कि आने वाला युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है और इसकी शुरुआत हो चुकी है। इस सत्र के अध्यक्ष शैलेश पांडेय ने युवाओं को किताबों से मित्रता करने का सुझाव दिया।

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मीडिया शिक्षक एवं छात्र विमर्श तथा नेशनल कांफ्रेंस आयाम  के दौरान “आजादी का अमृत महोत्सव: समाज, संस्कृति और संचार” विषय पर विचार प्रकट करते हुए डॉ. शुची यादव ने कहा कि स्व का अर्थ हमारी परंपरा,  हमारे पूर्वजों द्वरा स्थापित जीवन के सिद्धांत हैं। हमारे पूर्वजों ने प्राचीन काल से दर्शन और परंपरा के रूप में जिस आत्मबोध और स्वत्व को विकसित किया है वह भारत का स्व है। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ. पवन सिंह ने कहा कि समाज में जो कुछ गलत हो रहा है उसे उजागर करना ही मीडिया का पहला कार्य है। सरकार की नीतियों पर प्रश्न उठाना मीडिया का कर्तव्य है, मीडिया का केवल एक ही पक्ष होता है और वह है जनपक्ष। द्वितीय सत्र के दौरान नैरेटिव सेटिंग में सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर चर्चा करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि सोशल मीडिया नैरेटिव सेट करने का एक सशक्त माध्यम है, इसलिए हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम छिपाए गए तथ्यों को शोधपरक  आधार पर सत्यनिष्ठा के साथ जनमानस के सामने रखें। जिसमें भारत का स्व सुरक्षित रहें। वहीं कार्यक्रम के दौरान टाइम्स नाऊ नवभारत की एसोसिएट एडिटर मेधा चावला ने विद्यार्थियों को सोशल मीडिया के माध्यम से नैरेटिव सेट करने के तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया। वहीं तीसरे सत्र में भविष्य की पत्रकारिता विषय पर वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षक प्रोफेसर हर्षवर्धन त्रिपाठी एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रुद्र प्रताप दुबे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उनका मार्गदर्शन किया।

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प्रेरणा विमर्श-2023 द्वारा आयोजित प्रेरणा चित्र भारती फिल्मोत्सव के दौरान रचनात्मक डॉक्यूमेंट्री निर्माण विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए श्याम मलिक ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया और सुन्दर डॉक्यूमेंट्री कैसे बनाएं और उसकी स्क्रिप्टिंग कैसे करें, स्क्रिप्टिंग के माध्यम से अपने दर्शक को कैसे इंगेज करे इस पर विस्तार से चर्चा की। प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार, फिल्म समीक्षक और समाज सेवी अनंत विजय ने छात्रों को फिल्म समीक्षा के विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि तथ्यों पर बहस नहीं होती है, तथ्यों में जब अवधारणाओं को मिला दिया जाता है तो बहस होती है। फिल्म समीक्षा का वही स्थान है जो साहित्य में आलोचना का है। किसी भी फिल्म के लिए स्क्रीन प्ले महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि एक फिल्म समीक्षक को भरत मुनि का नाट्य का रस सिद्धांत और भारतीय फिल्म परंपरा की जानकारी होना आवश्यक है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा जिसमें भारत का स्व होगा उसे ही भारतीय समाज स्वीकार करता है। फिल्म निर्माण, डॉक्यूमेंट्री एवं समीक्षा में दर्शक अथवा श्रोता को बांधने के लिए भारतीय स्व बोध के साथ समीक्षक  एवं फिल्म निर्माता एवं निर्देशक को चलना अनिवार्य है। प्रेरणा चित्र भारती के तृतीय सत्र भारतीय संस्कृति और बॉलीवुड पर आधारित विमर्श की शुरुआत करते हुए अतुल गंगवार ने कहा कि आज सिनेमा हमारे मुट्ठी में है लेकिन जब तक उसमें भारतीय संस्कृति का समावेश नहीं होगा, तब तक यह अधुरा प्रयास ही रहेगा। वहीं लेखक पत्रकार विष्णु शर्मा ने कहा कि बॉलीवुड भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित फिल्में बनना बंद हो गयी। सभी सत्रों के अंत में विद्यार्थियों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए वक्ताओं ने उनकी विषय संबंधी जिज्ञासाओं का समाधान किया।

विभिन्न सत्रों का संयोजन एवं संचालन सर्वश्री- श्याम किशोर (संसद टीवी), आज्ञाराम पांडे (गलगोटिया विश्वविद्यालय), डॉ. यथार्थ मंजुल (अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय), डॉ. राजीव रंजन (आईआईएमटी), डॉ. अनिल निगम (आईएमएस गाजियाबाद), डॉ. पूनम (आईएमएस गाजियाबाद) अखिलेश जी, डॉ. रितु दुबे, प्रकाश श्रीवास्तव, ऐश्वर्या, गगन सेठी, अनुष्का श्रीवास्तव ने किया।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में चल रहे त्री-दिवसीय प्रेरणा मीडिया विमर्श-2023 के दूसरे दिन चार आयामों के तीन सत्रों में लेखक व पत्रकार, सोशल मीडिया, प्रेरणा चित्र भारती फिल्मोत्सव, मीडिया शिक्षक एवं छात्र तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस पर विमर्श का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के दौरान साहित्योत्सव एवं पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गयी, जिसमें सतीश शर्मा द्वारा लिखित ‘हिंदुत्व और राष्ट्रप्रहरी’  आलोक अग्रवाल जी द्वारा लिखित ‘देवों का उदय’ एवं दीक्षांत सूर्यवंशी द्वारा संपादित ‘शहरी नक्सलवाद: सच’ पुस्तकों का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से आए पत्रकार, लेखक मीडिया शिक्षक एवं छात्र, छात्राएं उपस्थित रहे। विभिन्न चर्चा सत्रों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख  कृपाशंकर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख पदम सिंह, प्रीतम (समन्वयक, सह प्रचार प्रमुख, मेरठ प्रान्त), विभाग प्रचारक कृष्णा, प्रेरणा विमर्श के संयोजक प्रोफेसर विशेष गुप्ता, डॉ. विश्वास त्रिपाठी रजिस्ट्रार गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा, प्रेरणा विमर्श-2023 की सचिव मोनिका चौहान, डॉ. वंदना पांडे सहित मेरठ प्रांत के अलग-अलग विभागों से आए गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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