जीबीयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आधुनिक शोध रुझान पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का हुआ समापन

जीबीयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आधुनिक शोध रुझान पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का हुआ समापन

ग्रेटर नोएडा,18 जुलाई। गौतमबुद्ध विविव में इंजीनियरिंग छात्रों/ शोधार्थियों/शिक्षकों के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आधुनिक शोध रुझान पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का समापन हो गया। इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विविध और साथ ही अंतः विषय क्षेत्र में से एक है। इसलिए इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बाद व्यक्ति शोध को अपने कैरियर के अवसर के रूप में आगे बढ़ा सकता है। उच्च अध्ययन के लिए इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बहुत विकल्प उपलब्ध हैं। तेजी से बदलते प्रौद्योगिकी के आज के युग में उत्तम गुणवत्ता की शोध बहुत आवश्यक है। यूनिवर्सिटी/शोध-कंपनिया उत्तम गुणवत्ता की शोध से प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग करते हैं। शोधार्थियों के लिए प्रतिस्पर्धी दुनिया के इस वर्तमान युग में आवश्यक कौशल विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इसी उद्देश्य को लेकर , इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में आधुनिक शोध रुझान पर एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक, प्रो० भगवती प्रकाश शर्मा, माननीय कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, संरक्षक प्रो. पी. के. यादव, डीन, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग थे।  इस संकाय विकास कार्यक्रम के पहले दिन के स्पीकर डॉ० नारायण प्रसाद पाढी, प्रोफेसर, विद्युत इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की से थे। उन्होंने “स्मार्ट ग्रिड” पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने स्मार्ट ग्रिड की उपयोगिता और भविष्य में इसकी महत्ता बताते हुए प्रतिभागियों का मार्ग दर्शन किया। उन्होंने स्मार्ट ग्रिड के स्टैंड अलोन तथा ग्रिड कनेक्टेड ऑपरेटिंग मोड्स के महत्व के बारे में अपना ज्ञान साझा किया। वन नेशन वन ग्रिड के बारे में प्रतिभागियों को बताया और नेशनल ग्रिड के पांच घटको को भी विस्तार में बताया। उन्हीने स्मार्ट ग्रिड पर शोध के महत्वपूर्ण बिंदुओ को भी साझा किया।
दूसरे दिन के वक्ता डॉ. विनोद यादव, एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली से थे। इस दिन का विषय “पर्यावरण का फोटोवोल्टिक प्रदर्शन पर प्रभाव” था। उन्होंने सौर ऊर्जा के उत्पादन तथा उसकी छमता पर प्रभाव डालने वाले घटको को विस्तार में बताया। सौर पेनल पर पड़ने वाली छाया से सौर पेनल की कार्य करने की छमता पर प्रभाव को शोध विद्यार्थियों को बताया। इस छेत्र में शोध के विभिन्न बिंदुओं को भी प्रतिभागियों क साथ साझा किया।
तीसरे दिन के वक्ता डॉ. प्रशांत बेडेकर, प्रोफेसर और प्रिंसिपल, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, चंद्रपुर, महाराष्ट्र से थे। इस दिन का विषय “विद्युत प्रणाली अनुकूलन और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में इसके अनुप्रयोग” पर था। उन्होंने पावर सिस्टम ऑप्टिमाइजेशन पर अपना व्याख्यान दिया। यह सत्र प्रतिभागियों को बहुत पसंद आया। उन्होंने इस सत्र से बहुत सारा ज्ञान अर्जित किया। इस व्याख्यान में वक्ता ने पावर सिस्टम इंजीनियरिंग की वास्तविक समय की समस्याएं तथा उन समस्याओ के समाधान क लिए हो रहे शोध कार्य को प्रतिभागियों क साथ साझा किया।
चौथे दिन के वक्ता डॉ० विवेक श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, राष्ट्रीय प्रोधोगिकी संस्थान, दिल्ली से थे। इस दिन का विषय “पावर सिस्टम इंजीनियरिंग की योजना के लिए ए० आई० तकनीक के उपयोग” पर था। उन्होंने इस सत्र के व्याख्यान मे आर्टिफीसियल इंटेलेजंसी की पावर सिस्टम में उपयोगिता पर अपना ज्ञान साझा किया। किसी भी सिस्टम की विश्वसनीयता सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है, इसी विषय को महत्ता देते हुए वक्ता ने इस छेत्र में होने वाले वर्तमान शोध की जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की।
अंतिम तथा पाँचवे दिन की वक्ता डॉ० वसुंधरा महाजन, एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, एस० वी० राष्ट्रीय प्रोधोगिकी संस्थान, सूरत, गुजरात से थीं। इस दिन का विषय “विद्युत की गुणवत्ता के लिए फजी लॉजिक का प्रयोग” था। इस सत्र का व्याख्यान फजी लॉजिक के द्वारा विद्युत की गुणवत्ता को सुधारने के तरीको पर था। वक्ता ने इस व्याख्यान को फजी लॉजिक के बुनियादी प्रयोग से प्रारम्भ किया व वर्तमान में हो रही उच्च स्तर की शोध तक पहुंचाया। अंतिम सत्र होने क साथ-साथ यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण रहा। प्रतिभागीयो ने अपने सवाल पूछे जिनका सफलतापूर्वक जवाब दिया गया।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय 700 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल पर भी किया गया।
इस एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम का लक्ष्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आधुनिक शोध के रूझानों पर चर्चा करना व विभिन्न अवसरों में भविष्य व कैरियर के परिप्रेक्ष्य के लिए छात्रों, शोधार्थियों तथा शिक्षकों को प्रेरित करना था।
इस एक सप्ताह के संकाय विकास कार्यक्रम को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आयोजित किया गया। समापन सत्र बहुत इंटरैक्टिव था। प्रतिभागियों ने स्पीकर से कई सवाल पूछे, जिनके जवाब अच्छे से दिए गए। प्रतिभागी इस कार्यक्रम से काफी संतुष्ट और बहुत उत्साहित थे। प्रतिभागियो ने इस तरह के और भी कार्यक्रम करवाने की मांग की।डाॅ० निधि सिंह, विभागाध्यक्ष और डॉ० कीर्ति पाल एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, ने इस संकाय विकास कार्यक्रम का सुचारू रूप से समन्वय किया। यह कार्यक्रम श्रृंखला 14 जुलाई 2020 से शुरू हुई और 18 जुलाई 2020 को इसका सफलतापूर्वक समापन किया गया। डॉ० विकास सिंह भदौरिया और डॉ० कृष्ण कुमार त्यागी की भी इस कार्यक्रम के सुचारू संचालन में विशेष भागीदारी रही।

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