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ईशान आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में 25 फरवरी को स्वर्णप्रशासन टीकाकरण

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-स्वर्णप्राशन से बच्चों के शारिरिक,मानसिक व रोग प्रतिरोधक का होता है विकास-डॉ.प्राची मिश्रा

ग्रेटर नोएडा। स्वर्णप्राशन बच्चों के अच्छे शारीरिक व मानसिक विकास और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक टीका है, जिसकी किसी भी प्रकार की साइड इफ़ेक्ट नहीं है, जिस प्रकार आधुनिक विज्ञान में टीकाकरण है, उसी प्रकार आयुर्वेद में भी टीकाकरण है,जो न केवल रोगों से रक्षा करता है, बल्कि उससे भी बढ़कर शानदार शारीरक व मानसिक विकास भी करता है। आयुर्वेद के बालरोग के ग्रंथ काश्यप संहिता के पुरस्कर्ता महर्षि काश्यप ने सुवर्णप्राशन के गुणों के बारे में बताया है। यह कहना है डॉ. प्राची मिश्रा,ईशान आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज ग्रेटर नोएडा का। यह सुवर्णप्राशन पुष्यनक्षत्र में ही उत्तम प्रकार की औषधि के चयन से ही बनता है। पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण और औषधि पर नक्षत्र का एक विशेष प्रभाव रहता है। यह स्वर्णप्राशन से रोग प्रतिकार क्षमता बढ़ने के कारण उसको वायरल और बैक्टेरियल इंफेक्शन से बचाया जा सकता है। यह स्मरण शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ बालक की पाचन शक्ति भी बढ़ाता है, जिसके कारण बालक पुष्ट और बलवान बनता है। यह शरीर के वर्ण को निखारता भी है। इसलिये अगर किसी बालक को जन्म से 12 साल की आयु तक सुवर्णप्राशन देते है तो वह उत्तम मेधायुक्त बनता है। और कोई भी बिमारी उसे जल्दी छू नहीं सकती। ईशान आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज नॉलेज पार्क में बच्चों 0-16 वर्ष के बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिविर एवं आयुर्वेदिक टीकाकरण (स्वर्णप्राशन) 25 फरवरी 2021(पुष्य नक्षत्र) को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक चलाया जाएगा। डॉ.अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि स्वर्ण प्राशन टीककरण का सभी लाभ उठाएं।
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स्वर्णप्राशन आयुर्वेदिक औषधि
महर्षि कश्यप संहिता के मुताबिक सुवर्णप्राशन से बुद्धि, पाचन शक्ति और शारीरिक शक्ति में सुधार होता है। यह एक तरह से शिशु तथा बच्चे की रोगप्रतिरक्षा को बेहतर बनाता है, ताकि बच्चे को बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण से रोका जा सके। सुवर्णप्राशन का नियमित उपयोग से बच्चों को स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है। सुवर्णप्राशन विकृत कोशिकाओं को पुन: सक्रिय एवं जीवंतता प्रदान करता है। शरीर में विकृति स्वरूप ट्यूमर इत्यादि की कोशिकाओं को नष्ट करता है। इस प्रकार कैंसर आदि रोगों से बचाता है। शरीर में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को दूर करता है। सूजन की प्रक्रिया को रोकता है। याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है। इसलिए यह अध्ययनरत बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हृदय की पेशियों को भी शक्ति देता है और शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है। सामान्यत: सुवर्णप्राशन में सुवर्णभष्म, वच, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, गुडुची यानी गिलोय का सत, जेठीमधु, अश्वगंधा, घी और शहद होता है।

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