राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन पर जीएनआइओटी में वर्चुअल राष्ट्रीय संगोष्ठी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन पर जीएनआइओटी में वर्चुअल राष्ट्रीय संगोष्ठी

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- एमबीए संस्थान मे “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के निष्पादन और कार्यान्वयन” पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। डायरेक्टर जीएनआईओटी एमबीए संस्थान डॉ. सविता मोहन ने वर्चुअल सेमिनार में आये हुए सभी वक्ताओं का स्वागत किया एवं कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को 29 जुलाई, 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुमोदित किया गया था। नीति को विस्तार से समझने के लिए इस पर चर्चा बहुत आवश्यक है। जीएनआईओटी एमबीए संस्थान ने इसके लिए एक मंच प्रदान किया है। प्रो. (डॉ) प्राणवीर सिंह, महानिदेशक जीएनआईओटी ग्रुप ने नई शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति किसी भी विषय को सीखने के व्यावहारिक पहलू पर केंद्रित है, क्योंकि यह अवधारणा को समझने का एक बेहतर तरीका माना जाता है।
इसके बाद प्रमुख वक्ता डॉ. मनप्रीत सिंह मन्ना, पूर्व निदेशक एआईसीटीई ने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक को अपने विषय क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति कुशल श्रम की ओर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो भारत के लिए एक समस्या है। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। नई शिक्षा नीति कई उपक्रमों के साथ रखी गई है जो वास्तव में वर्तमान परिदृश्य की जरूरत है। नीति का संबंध अध्ययन पाठ्यक्रम के साथ कौशल विकास पर ध्यान देना है। किसी भी चीज के सपने देखने से वह काम नहीं करेगा, क्योंकि उचित योजना और उसके अनुसार काम करने से केवल उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी। जितनी जल्दी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य प्राप्त होंगे, उतना ही जल्दी हमारा राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर करेगा। इसके बाद डॉ. विजय पिथडिय़ा ने उसी पर अपने विचार बिंदुओं को साझा किया और जीवंत ज्ञान केंद्र और व्यवस्थित संस्थागत सुधार के साथ-साथ बहु-विषयक शैक्षणिक के प्रचार के बारे में भी बात की।
डॉ विनय कांडपाल ने शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और क्रियान्वयन में चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने सीखने के नियमित रूपात्मक आकलन, विविधता के सम्मान, अखंडता, पारदर्शिता आदि के लिए भी ध्यान केंद्रित किया। डॉ एस के नागराजन ने नई शिक्षा नीति की खूबियों और अवगुणों की ओर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने व्यापक और नई शिक्षा नीति की तुलना के बारे में भी चर्चा की।
डॉ. उषा शेषाद्रि के शब्दों के साथ सत्र को आगे बढ़ाया गया। उन्होंने नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बताया। पहले छात्रों के पास अध्ययन के लिए केवल एक ही विषय चुनने का विकल्प था, लेकिन अब अलग-अलग विषय चुन सकते हैं, उदाहरण के लिए गणित के साथ-साथ कला और शिल्प का भी विकल्प चुन सकते हैं।
डॉ योगेश जैन ने नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए कुल 300 पंजीकरण प्राप्त हुए थे। इस कार्यक्रम की मॉडरेटर डॉ अंकिता श्रीवास्तव, डॉ रीमा शर्मा एवं प्रो. तारू माहेश्वरी रही। अंत में इस संगोष्ठी में डॉ अविजित कुमार डे द्वारा एक विस्तार रिपोर्ट साझा की गई और धन्यवाद ज्ञापन डॉ हिमांशु मित्तल द्वारा किया गया। सभी प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया ली गई और उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और निष्पादन के बारे में सीखा।

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