रबूपुरा। किसान के गेंहू की फसल ने बुआई के बाद बढ़ाव की तरफ कदम ही रखा है जिसे जंगल में घूमने वाले लावारिस पशुओं ने उजाड़ना शुरू कर दिया है। कडाके की सर्द रातों में खेतों पर पहरा देकर रखवाली के बावजूद भी किसान फसल को बचा पाने में बेबस नजर आ रहा है। काफी समय से प्रशासन द्वारा इन्हें पकड़े जाने हो चुकी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तथा जंगल में पशुओं के झंुड़ फसल को क्षति पहुंचाते आसानी से देखे जा सकते हैं। बकौल किसान प्रदेश में सत्ता परिवर्तन उपरान्त किसानों को राहत देने के लिए लावारिस गौवंशों के लिए समस्त जनपदों में स्थाई एवं अस्थाई गौशाला बनाकर इंतजामात के निर्देश दिये गये थे। प्रशासन द्वारा इसकी व्यवस्था करने के पुरजोर दावे किये गये लेकिन कुछ समय बाद ही सब कुछ पुराने ढर्रे पर चला गया तथा पुनः उक्त पशुओं द्वारा फसल नष्ट करने की पुर्नावृत्ति नजर आने लगी। किसानों एवं किसान संगठनों द्वारा लावारिश पशुओं को पकड़कर गौशाला में छोड़ने की मांग पिछले काफी समय से चली आ रही है कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन तक सौंपा गया है लेकिन अंधेर नगरी, चैपट राजा वाली कहावत सटीक हो रही है। किसानों का कहना है कि उनके पास परिवार पोषण के लिए एकमात्र खेती ही सहारा होती है। फसल को मुकाम तक पहुंचाने के लिए रात दिन एक करना पड़ता है तथा मंहगे खाद्य, बीज उर्वरक आदि विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता है लेकिन उसे भी यह पशु नष्ट कर रहें है। अगर फसल नष्ट हुई तो किसान आर्थिक संकट की चपेट में आयेगा। प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी कोई इंतजाम नहीं किये जाने से किसानों में आक्रोश पनप रहा है।
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