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यथार्थ हॉस्पिटल में मिनिमली इनवेसिव माइक्रोसर्जरी के साथ सफलतापूर्वक हुआ इलाज

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रीढ़ में दुर्लभ ट्यूमर के कारण महिला 6 महीनों तक व्हीलचेयर पर रही।
ग्रेटर नोएडा:। नोएडा निवासी 30 वर्षीय महिला पैरालिसिस से ग्रस्त होने के कारण काफी समय से व्हीलचेयर पर थी। महिला और परिजन पूरी तरह से निराश हो चुके थे लेकिन यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नोएडा में महिला का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। ऑपरेशन के बाद महिला को अब व्हीलचेयर की बिल्कुल जरूरत नहीं है और वह आज़ादी से चल-फिर सकती है। महिला पिछले 6 महीनों से रीढ़ के दुर्लभ ट्यूमर से ग्रस्त थी, जिसके कारण वह पक्षाघात का शिकार बनी।
ग्रेटर नोएडा स्थित यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के न्यूरोसाइंसेस हेड, डॉक्टर प्रंकुल सिंघल ने बताया कि, “रीढ़ के गहन परीक्षण से नॉन-कैंसरस ट्यूमर की पहचान हुई, जिसके कारण महिला के दोनों पैरों में पक्षाघात हो गया था। इस प्रकार के ट्यूमर को निकालना बेहद मुश्किल और जोखिम भरा होता है क्योंकि कई मामलों में सर्जरी के बाद मरीज के हाथ-पैर हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं। ट्यूमर के आकार और स्थान और गंभीर हालत को देखते हुए उसे मिनिमली इनवेसिव माइक्रोसर्जरी की सलाह दी गई। शुक्र है सर्जरी पूरी हुई और हम ट्यूमर को निकालने में सफल रहे। मरीज ने सर्जरी के तुरंत बाद बहुत कम सहारे के साथ चलना शुरू कर दिया। अब उसे व्हीलचेयर की कोई जरूरत नहीं थी।
ट्यूमर की गंभीरता इसके स्थान और प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकती है। इसके आम लक्षणों में पीठ दर्द, विशेषकर हाथों-पैरों में कुछ न महसूस होना, चलने में मुश्किल, कमज़ोर इम्यूनिटी, दर्द की संवेदनशीलता कम होना, गर्माहट और ठंड की संवेदनशीलता बढ़ना, आंत में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी और गंभीर स्थिति में हाथों-पैरों का पक्षाघात आदि शामिल हैं। ट्यूमर कैंसरस हो या नॉन-कैंसरस, पीठ दर्द इसका शुरुआती और सबसे आम लक्षण है।
डॉक्टर प्रंकुल ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “भारत में, रीढ़ के ट्यूमर का इलाज आज भी एक चुनौती बना हुआ है। इसका कारण टेक्रनोलॉजी की कमी है। इसके अलावा इसका एक कारण यह भी है कि, रीढ़ एक संवेदनशील हिस्सा है, जिसपर रेडिएशन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। माइक्रोसर्जरी रीढ़ के ट्यूमर के इलाज का सबसे अच्छा विकल्प है। इस प्रकार के ट्यूमर के मामलों में सर्जरी एक अच्छा विकल्प माना जाता है। मरीज तेजी से रिकवर करते हैं और जल्दी ही सामान्य जीवन में वापस लौट पाते हैं। एडवांस टेक्रनोलॉजी की उपलब्धता की मदद से स्पाइन सर्जरी एक सुरक्षित और असरदार प्रक्रिया बन चुकी है।”

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